एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी “नमामि गंगे अभियान” के तहत 20 हजार करोड़ खर्च कर गंगा को साफ करने की कोशिश कर रहे है…वही दूसरी तरफ कुल्लू जिला की पवित्र ब्यास नदी में ट्रकों व ट्रेक्टर-ट्रॉलीयो को भर-भर कर ब्यास नदी में कूड़ा बहा ब्यास नदी का कत्ल किया जा रहा है।
इसमें एक कड़वा सच ये भी है…
पिछले तीन-चार सालों से कुल्लू और भुंतर नगर परिषदों के पास अपनी खुद कूड़ा-कचरा के लिए डंपिंग साईट नही है।
कुल्लु व भुंतर MC को अपना कूड़ा मनाली की डंपिंग साईट में पहुचाने के सरकारी आदेश है।
क्योंकि मनाली MC द्वारा कूड़ा कचरा के निष्पादन के लिए एक कूड़े से बिजली पैदा करने का प्लांट स्थापित किया गया, जो कि अभी तक चालू नही हो पाया या कामयाब नही हुआ?
जिस कारण अब मनाली की डंपिंग साईट भी अपनी क्षमता से अधिक भर बदबू फैलाने में कोई कसर नही छोड़ रही है।
आखिर कब तक हमारी नदिया हमारे द्वारा पैदा की गई गन्दगी को बर्दाश्त करती रहेगी..?