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बुखार से लेकर कैंसर तक कारगर है इलेक्ट्रोहोम्योपैथी
हिमाचल दस्तक ब्यूरो। धर्मशाला
इलेक्ट्रोहोम्योपैथी चिकित्सा पद्धति की मान्यता हेतू केंद्रीय कानून बनता है, जो कि भारत सरकार के विचाराधीन है। इलेक्ट्रोहोम्योपैथिक चिकित्सक संघ के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सुरेंद्र ठाकुर ने कहा कि राजस्थान में सरकार ने विधेयक पारित करके इलेक्ट्रोहोम्योपैथी को स्वतंत्र रूप से चिकित्सा पद्धति को मान्यता दी है।
वहीं हरियाणा सरकार ने भी आयुष डायरेक्टर की अध्यक्षता में कमेटी गठित करके इलेक्ट्रोहोम्योपैथी की मान्यता हेतु प्रयास शुरू कर दिए हैं।
हिमाचल प्रदेश की बात करें तो इलेक्ट्रोहोम्योपैथी की प्रैक्टिस करने वाले को यहां कोई पाबंदी नहीं है। प्रदेश में प्रचुर मात्रा में वन औषधियां मौजूद हैं।
डॉ. सुरेंद्र ठाकुर ने बताया कि इलेक्ट्रोहोम्योपैथी हर्बल आधारित चिकित्सा विज्ञान है। इसकी सभी औषधियां, प्रदेश में पाई जाने वाली जड़ी-बूटियों के अर्क से बनाई जाती हैं।
इन औषधियों से निर्मित दवाइयां हर प्रकार के रोगों पर कारगर सिद्ध होती हैं। बुखार से लेकर भयानक बीमारी कैंसर तक के उपचार के लिए यह चिकित्सा पद्धति कारगर है।
इस चिकित्सा पद्धति की विशेषता यह है कि इसकी दवाइयों का प्रभाव एकदम से होता है। वनों से जुटाई गई जड़ी-बूटियों से निर्मित यह दवाइयां हमारे शरीर की बायो इलेक्ट्रिक एनर्जी को एक्टिवेट को उसके बीच सामंजस्य बैठाकर शरीर को स्वस्थ करने का काम करती हैं। यह दवाइयों असरदार और हानिरहित हैं।