- अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ अध्यक्ष विनोद कुमार की मांग
- दो आईएएस से जुड़ा है मामला रिकॉर्ड से भी हो रही है छेड़छाड़
हिमाचल दस्तक ब्यूरो। शिमला : आयुर्वेद खरीद घोटाले के सबसे अहम गवाह को हुए जान का खतरे का खुलासा होने के बाद अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष विनोद कुमार ने मांग की है कि इस केस में सरकार जल्द से जल्द एफआईआर दर्ज करवाये। ये दो आईएएस अधिकारियों से जुड़ा मामला है और इसमें रिकार्ड से आरोपी अफसर ही छेड़छाड़ कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस मामले में अहम गवाह आयुर्वेद विभाग के कर्मचारी का मुख्यमंत्री को लिखा पत्र दो दिन पहले उन्हें भी मिला है। इसमें किये गए खुलासे हैरान करने वाले हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को ये पता करने चाहिए कि सामान की सप्लाई करने वाली इन निजी कंपनियों से इन अफसरों के क्या रिश्ते हैं? क्या कोई पैसे का लेन देन हुआ है? इनके मोबाइल काल्स से पता किया जाए कि खरीद से पहले ये किसके संपर्क में थी? ये कैसे बड़े अफसरों के नाम लेकर विभागों में आपरेट कर रहे हैं? उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार के समय दवाओं की खरीद के मामले में बावगानी विभाग में कई कंपनियों के दलाल घूमते थे। ये पता चलने पर पूर्व बागवानी मंत्री विद्या स्टोक्स ने लिखित आदेश जारी कर ऐसे लोगों के निदेशालय आने पर रोक लगा दी थी। कर्मचारी परिसंघा ने तब भी उस कदम का वेल्कम किया था।
खुद के साथ अनहोनी की आशंका जताई है गवाह ने
आयुर्वेद विभाग में बतौर वरिष्ठ सहायक तैनात राकेश कुमार ने सीएम को पत्र लिखकर मांग की है कि किसी निष्पक्ष एजेंसी से जांच करवाई जाए, क्योंकि आरोपी अधिकारी ही बेगुनाह लोगों को धमका रहे हैं। उन्होंने खुद के साथ कोई अनहोनी होने की आशंका व्यक्त की है और यदि ऐसा हुआ तो इसके लिए पूर्व निदेशक को जिम्मेदार बताया गया है, जिनके समय इस खरीद में घोटाला हुआ।
अंबाला, कुल्लू व कांगड़ा की फर्मों को दिए ऑर्डर
आयुर्वेद विभाग ने 398.82 लाख की दवा खरीद के लिए पहले फाइल 15 दिन रुकवाई गई। फिर फंड डायवर्ट करवाए गए। फिर संयुक्त निदेशक को कमेटी से बाहर कर नई कमेटी बनाई और जैम पोर्टल से खरीद को कहा। सारे परचेज आर्डर राजस इंटरप्राइज अंबाला और उनकी बताई गई कांगड़ा की दो फर्मों और कुल्लू की एक फर्म को देने को कहा।