मोहन कपूर। लाहौल स्पीति
लाहौल स्पीति के गाहर घाटी में हलडा-कुस उत्सव के बाद गोची उत्सव मनाया जा रहा है। घाटी में लड़कों के जन्म पर गोची उत्सव मनाने की परंपरा है। बेटे के जन्म पर परिवार पूरे गांव और रिश्तेदारों को गोची उत्सव पर धाम के लिए निमंत्रण भेजता है। जबकि बच्चे के खुशहाल भविष्य के लिए इष्ट देवता की पूजा अर्चना की जाती है। वही घाटी में ‘प्यूकर’ एक ऐसा गाँव भी हैं जहाँ सदियों से “गोची उत्सव” बेटियों के जन्म पर भी मनाया जाता हैं। इस वर्ष 4 फरवरी से 8 फरवरी तक यहां गोची उत्सव मनाया गया। इस दौरान गांव के मुख्य देवता तंगजर की विशेष पूजा अर्चना के साथ बच्चों की बेहतर भविष्य के लिए कामना करते हैं। देवता की पूजा के बाद शाम को तीर-कमान का खेल खेला जाता है। नृत्य किया जाता है और जश्न मनाया जाता हें ।
गाँव के युवक छेरिंग टशी छरजिपा ने बताया की गाँव मे बीते एक वर्ष मे 3 बच्चों का जन्म हुआ जिसमें 2 बेटी और 1 बेटे का जन्म हुआ। जिससे गाँव में 3 घर मे गोची मनाया गया। उन्होंने कहा आज कल लड़कियां अपनी मेहनत और हौसले के बलबूते नई बुलंदियों को छू रही हैं। बेटा-बेटी एक समान है। प्यूकर गाँव मे बेटे के साथ साथ बेटी के जन्म पर गोची उत्सव का आयोजन कर परिवार के साथ पूरा गांव फक्र महसूस कर रहा है।
इस वर्ष स्नो फेस्टिवल के अंतर्गत गोची उत्सव को मनाया जा रहा है उपायुक्त लाहौल स्पीति पंकज राय खुद प्यूकर गांव के गोची उत्सव में पहुंचे और जिनके घर मे गोची है उन परिवारों को सम्मानित किया और कहा बेटे के साथ साथ बेटी की जन्म पर भी इस तरह की पहल समाज के लिए सराहनीय है। इस परंपरा को कायम रखने के लिए सभी को बधाई दी। पंकज राय ने कहा कि स्नो फेस्टिवल से पर्यटकों में भी लाहौल की यात्रा के प्रति बहुत उत्साह है। भविष्य में पर्यटकों को भी लाहौल की संस्कृति से भागीदारी कर रुबरु होने का मौका मिलेगा।