प्रतिमा चौहान : शिमला
क्षत्रिय संगठन के उग्र आंदोलन को तोडऩे में सरकार की रणनीति इस बार काम कर गई। सरकार के आदेशों पर एक दिन पहले यानी कि मंगलवार को ही जिलों पर नाके लगा दिए गए थे। वहीं संगठन के लोगों को एक दिन पहले से ही शिमला आने से रोकना शुरू कर दिया था। नाहन, सिरमौर, सोलन, बिलासपुर, कांगड़ा कई क्षेत्रों से लोगों को वापस भेजा गया। पुख्ता जानकारी के अनुसार मंगलवार रात को कई घरों से भी संगठन के वरिष्ठ नेताओं को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया।
उधर शिमला में धारा 144 लगा दी गई थी। राजधानी में 9 प्रमुख मार्गों पर 5 से ज्यादा लोगों की आवाजाही पर रोक थी। सवर्ण आयोग के गठन को लेकर लोगों की चेतावनी से सरकार पहले ही वाकिफ थी। सवर्ण आयोग के लोगों ने पहले ही सरकार को दहाड़ दी थी कि वो अब प्रदर्शन बहुत जोरों से करेंगे। सवर्ण आयोग से जुड़े लोगों ने पहले से ही एलान किया था कि वो विधानसभा तक का इंतजार करेंगे। अगर 15 मार्च तक सरकार उनके आयोग के लिए घोषणा नहीं करती है व एट्रोसिटी एक्ट को विस में नहीं लाती है तो यह आंदोलन आग की तरह फैलेगा।
बता दें कि विस में पक्ष व विपक्ष दोनों ही तरफ से सवर्ण आयोग के मामले को विस में नहीं उठाया गया। यही वजह रही कि सवर्ण आयोग से जुड़े लोगों का गुस्सा 68 विस क्षेत्रों के एमएलए पर फूट गया। फिलहाल सरकार ने आंदोलन से पहले ही संगठन के लोग व नेताओं को रोकने का प्रयास किया। अगर सरकार व तमाम प्रशासनिक प्लानिंग पहले नहीं होती तो इस आंदोलन में 1 लाख तक के लोगों के जुटने का दावा किया जा रहा था।
शिमला प्रशासन की तरकीब भी हुई सफल
उधर, शिमला के जिला व पुलिस प्रशासन की प्लानिंग भी सफल रही। शहर के हर मेन प्वॉइंट पर नाका लगा दिया गया। पुलिस के जवान सहित वज्र व अग्निशमन की गाडिय़ों को तैनात कर दिया गया था। आईएसबीटी क्रॉसिंग के आगे किसी भी आंदोलनकारी को जाने नहीं दिया गया। सुबह 6 बजे से प्रशासनिक अमला फील्ड में उतरकर हर स्थिति को सामान्य करने का काम कर रहा था।