हिमाचल दस्तक ब्यूरो। ऊना
हिमाचल साहित्य अकादमी से पुरस्कृत साहित्यकार गुरमीत बेदी के कहानी संग्रह ” सूखे पत्तों का राग ” को अब जर्मनी के साहित्य प्रेमी भी पढ़ेंगे।
जर्मन लेखिका रोजविटा ने इस कहानी संग्रह का जर्मनी में अनुवाद किया है और वहां के एक प्रमुख पब्लिशर द्वारा इसे प्रकाशित किया जा रहा है। रोजविटा जर्मनी के विश्वविद्यालय में पढ़ाती हैं और वर्ल्ड पोएट्री फेस्टिवल में भी गुरमीत बेदी की हिंदी कविताओं का जर्मनी में रूपांतरण कर चुकी हैं।
इस संग्रह की भूमिका प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी अवार्ड सहित देश-विदेश के कई पुरस्कारों से अलंकृत चित्रा मुद्गल ने लिखी है और भावना प्रकाशन ने इसे प्रकाशित किया है। इस संग्रह की कहानियां देश की प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित व चर्चित हुई हैं।
हिमाचल प्रदेश सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में डिप्टी डायरेक्टर गुरमीत बेदी ने देश के साहित्यिक परिदृश्य में कवि, कहानीकार व व्यंग्यकार के रूप में अपनी अलग पहचान बनाई है। विदेशों में भी कविता व व्यंग्य पाठ करके गुरमीत बेदी हिमाचल प्रदेश का गौरव बढ़ा चुके हैं। जर्मनी व मॉरीशस में आयोजित वर्ल्ड पोएट्री फेस्टिवल में भी गुरमीत बेदी हिस्सा ले चुके हैं।
गुरमीत बेदी के 3 उपन्यास, 3 व्यंग्य संग्रह, 2 कहानी संग्रह, 2 कविता संग्रह व शोध की एक पुस्तक के अलावा एस्ट्रोलॉजी एक विज्ञान शीर्षक से रिसर्च पुस्तक भी प्रकाशित हुई है। देश-विदेश के कई प्रमुख पुरस्कार भी उनके खाते में दर्ज हैं।
गुरमीत बेदी के उपन्यास “खिला रहेगा इंद्रधनुष” पर एक टेलीफिल्म भी बनी है। उन्हें लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से भी नवाजा गया है। हिमाचल सरकार का साहित्य अकादमी अवार्ड व राजभाषा पुरस्कार भी गुरमीत बेदी को मिल चुका है। गुरमीत बेदी इन दिनों चंडीगढ़ स्थित हिमाचल प्रदेश प्रेस संपर्क कार्यालय में उपनिदेशक के पद पर कार्यरत हैं।