विधि संवाददाता। शिमला
प्रदेश हाईकोर्ट में 280 करोड़ रुपए की अग्रिम प्रीमियम राशि मैसर्ज अदानी पावर लिमिटेड को वापिस करने से जुड़े मामले पर सुनवाई 26 सितम्बर के लिए टल गई। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने सरकार को जंगी-थोपन-पोवारी विद्युत परियोजना के लिए जमा की गई यह राशि वापिस करने के आदेश दिए थे।
सरकार ने इस मामले में अपील करने में देरी कर दी थी। अत: सरकार को अपील दायर करने में हुई देरी को माफ करने की अर्जी भी देनी पड़ी। सरकार ने फीस वापसी के आदेशों पर रोक लगाने की गुहार भी लगाई है। कोर्ट ने एक पीठ के आदेशों पर फिलहाल रोक लगाने से इंकार किया है।
मुख्य न्यायाधीश ए ए सैयद व न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ के समक्ष इस मामले पर सुनवाई हुई। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने गत 12 अप्रैल को जारी फैसले में सरकार को आदेश दिए थे कि वह 4 सितंबर, 2015 को कैबिनेट द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार दो महीने की अवधि में यह राशि वापस करे ।
एकल पीठ ने यह आदेश मेसर्स अदाणी पावर लिमिटेड द्वारा दायर याचिका पर पारित किये थे और यह आदेश भी दिए थे कि यदि सरकार यह राशि दो माह के भीतर प्रार्थी कंपनी को वापिस करने में विफल रहती है तो उसे 9 फीसदी सालाना ब्याज सहित यह राशि अदा करनी होगी।
12 अप्रैल को पारित इस फैसले को सरकार ने अपील के माध्यम से खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी है। कोर्ट ने मामले पर सुनवाई के पश्चात सरकार के आवेदन को अपील के साथ सुनवाई के लिए लगाने के आदेश दिए। कंपनी ने विशेष सचिव (विद्युत) के 7 दिसंबर, 2017 को जारी पत्राचार को हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर कर चुनौती दी थी।
7 दिसंबर, 2017 के पत्राचार को रद्द करते हुए एकल पीठ ने कहा था कि जब कैबिनेट ने 4 सितंबर, 2015 को, प्रशासनिक विभाग द्वारा तैयार किए गए विस्तृत कैबिनेट नोट पर ध्यान देने के बाद, स्वयं ही यह राशि वापस करने का निर्णय लिया था तो समझ में नहीं आता कि अपने ही निर्णय की समीक्षा करने का निर्णय किस आधार पर लिया गया।
अक्टूबर, 2005 में, राज्य सरकार ने 980 मेगावाट की दो हाइड्रो-इलेक्ट्रिक परियोजनाओं जंगी-थोपन-पोवारी पावर के संबंध में निविदा जारी की थी । मैसर्स ब्रैकेल कॉर्पोरेशन को परियोजनाओं के लिए सबसे अधिक बोली लगाने वाला पाया गया। इसे देखते हुए ब्रकेल ने अपफ्रंट प्रीमियम के रूप में 280.06 करोड़ रुपये की राशि राज्य सरकार के पास जमा कर दी। । हालांकि, बाद में राज्य सरकार ने परियोजनाओं की फिर से बोली लगाने का फैसला किया।
इसके बाद, ब्रैकल ने राज्य सरकार से पत्राचार के माध्यम से 24 अगस्त, 2013 अनुरोध किया था कि मेसर्स अदाणी पावर लिमिटेड के कंसोर्टियम पार्टनर होने के नाते 280.00 करोड़ रुपये के अग्रिम प्रीमियम को अप टू डेट ब्याज के साथ उसे वापस किया जाए।