हेल्गा संधू अल सुबह हाथों में ग्लोव्ज पहने, थैला लटकाए और एक हाथ में स्टिक उठाए घर से पैदल निकल पड़ती हैं। अपने पालतू कुत्ते के साथ कचरा उठाते हुए सड़क पर उन्हें कभी भी देखा जा सकता है। यही नहीं सड़क पर कचरा फेंकते उन्होंने किसी को देख लिया तो उसकी खैर नहीं…
पुनीत वर्मा। सोलन
महिलाएं आज के बदलते परिवेश में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति की ओर अग्रसर हो रही हैं। महिलाएं राजनीति, टेक्नोलॉजी, सुरक्षा समेत हर क्षेत्र में कामयाबी हासिल कर रही हैं। कुछ महिलाएं लीक से हटकर काम करने के लिए जानी जाती हैं। ऐसी ही एक शख्सियत जिला सोलन के सुबाथू में रहती हैं। पर्यावरण के प्रति समाज को जागरूक करने वाली इस जर्मन महिला का नाम है हेल्गा संधू, जो खुद को एक साधारण महिला बताती हंै। वो कहती हैं, ‘मैंने ऐसा कुछ भी स्पेशल नहीं किया जिसका प्रचार किया जाए।
स्वच्छता और स्वच्छता के बारे में बात करना पसंद है, इसलिए सड़क किनारे फेंके कचरे को उठाकर घर ले जाती हूं।’ कहते हैं कि सकारात्मक सोच के बूते समाज आगे बढ़ता है। हेल्गा भी इसी सोच के साथ जीवन व्यतीत कर रही हैं। पिछले 35 वर्षों से नि:स्वार्थ भाव से वह समाज को स्वच्छ पर्यावरण का संदेश दे रही हैं। पर्यावरण प्रेमी परिवार से संबंधित हेल्गा संधू पिछले 50 वर्षों से सुबाथू में अपने मशहूर बैंबू हाउस में रहती हैं। वह मूल रूप से जर्मनी की रहने वाली हैं।
जज्बा ऐसा कि बड़ी उम्र भी नहीं आती आड़े
उनकी उम्र 75 पार कर चुकी है, लेकिन आज भी वह तंदरुस्त, निडर और ऊर्जावान नजर आती हैं। पर्यावरण के प्रति प्यार इस कदर कि बड़ी उम्र भी कभी आड़े नहीं आती। हेल्गा के इस नेक काम के लिए पांच वर्ष पूर्व सुबाथू कैंटोनमेंट ने सुबाथू छावनी स्वच्छता ब्रांड एंबेसडर का दर्जा देने की परिकल्पना भी की थी। इस दिशा में कुछ सार्थक प्रयास हुए भी हंै। उनके लिए भी अब यह कोई काम नहीं बल्कि जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया है।