शकील कुरैशी। शिमला
हिमाचल प्रदेश की नई पावर पॉलिसी को केंद्रीय मंजूरी मांगी गई है। राज्य सरकार ने जो पॉलिसी तैयार की है उसपर वह विद्युत मंत्रालय की इजाजत चाहती है। क्योंकि राष्ट्रीय पॉलिसी के प्रावधानों को भी इसमें शुमार किया गया है। लिहाजा यदि कुछ संशोधन हों तो उसके लिए पॉलिसी को मंत्रालय को भेजा गया है। सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी से कुछ मसलों को लेकर क्लेरिफिकेशन चाहिए जिसके बाद मामला प्रदेश सरकार की कैबिनेट के पास जाएगा। इससे पहले माना जा रहा था कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के दौरान मंडी में ही इस पॉलिसी को लांच कर दिया जाएगा मगर ऐसा नहीं हो सका। अधिकारियों का मानना है कि इस नई पॉलिसी में कई ऐसे प्रावधान हैं जोकि राष्ट्रीय नीति में भी हैं।
कहीं इनमें कोई भिन्नता ना आ जाए जिससे राष्ट्रीय नीति के प्रावधान भी प्रभावित हो जाएं, यही वजह है कि मंजूरी के लिए इसे भेजा गया है। प्रदेश सरकार राज्य में हाइड्रो व सोलर पॉवर के बाद अब बैटरी संचालित ऊर्जा और पंप ऑपरेटिड ऊर्जा के प्रोजेक्टों को यहां पर इंट्रोड्यूज करने जा रही है जिसके लिए कई प्रावधान रखे गए हैं। इसमेंं ऊर्जा उत्पादकों के लिए नए प्रावधान हैं जिसमें उनको रियायतें भी मिलेंगी और हिमाचल में नई तरह की ऊर्जा का उत्पादन हो सकेगा। प्रदेश की नदियों में पानी बहुतायत में हैं और जितनी क्षमता यहां पर ऊर्जा दोहन की है उसको आबंटन हो चुका है।
ऐसे में जयराम सरकार अब ऊर्जा दोहन के नए तरीकों को यहां पर लाने जा रही है जिसमें काफी ज्यादा स्कोप है। पीक ऑवर्स में जब बिजली की काफी ज्यादा जरूरत रहती है तो पंप ऑपरेटिड व बैटरी संचालित ऊर्जा का दोहन किया जा सकता है। इससे न केवल जरूरत पूरी होगी बल्कि इसका अच्छा खासा मूल्य मिलेगा। इससे काफी ज्यादा कमाई हो सकती है जिसमें सरकार को भी मुनाफा होगा। यह भी ग्रीन एनर्जी में ही शुमार है जिससे पर्यावरण का भी नुकसान नहीं है।
उत्पादकों को मिलेंगी कई तरह की राहतें
सरकार यहां पर उत्पादकों को कई राहतें देने की सोच रही हैं जिसमें लाडा में भी उन्हें छूट होगी तो वहीं सरकार को दी जाने वाली हिस्सेदारी में भी कई साल की छूट प्रदान की जा रही है। इसके अलावा ट्रांसमिशन चार्जिज और बाहर को बिजली भेजने में लगने वाले शुल्कों में भी कुछ रियायतें प्रदान की जा रही है। कुल मिलाकर ऊर्जा उत्पादकों का इस ओर रुझान देखा गया है।
हिमाचल आना चाहती हैं कंपनियां
कई कंपनियां दूसरे राज्यों में इस तरह के प्रोजेक्ट लगा चुकी हैं। लिहाजा वो हिमाचल में भी आना चाहती हैं। इसे ध्यान में रखकर ऊर्जा नीति बनाई गई है जिसपर अब केंद्रीय विद्युत मंत्रालय से मंजूरी मांगी गई है। इसके बाद मामला कैबिनेट के समक्ष आएगा।