वरिष्ठ संवाददाता। शिमला:
कोविड-19 की वजह से इस साल भी जुलाई तक स्कूल पूरी तरह बंद रहे। बावजूद इसके शिक्षकों ने अपनी बदली को लेकर पूरा जोर लगाया। हैरानी की बात है कि इस साल अभी तक शिक्षा विभाग में 7192 शिक्षक व स्कूल के अन्य स्टाफ ने अपनी ट्रासंफर पसंदीदा स्टेशनों में करवाई, जबकि सरकार ने तबादलों पर रोक लगाई हुई थी। ये तबादले 1 जनवरी से 30 सितंबर तक हुए हैं।
विभागीय सूत्रों की मानें तो ये तबादले राजनीतिक दलों की सिफारिश के आधार पर हुए हैं। अब शिक्षा विभाग ने फैसला लिया है कि हाईकोर्ट व सरकार के निर्देशों पर तबादले आसान नहीं होंगे। शिक्षक संगठनों से लेकर अन्य कर्मचारी व शिक्षक नेता की सिफारिश अब नहीं चलेगी। विभाग ने तबादले को लेकर नए नियम बनाने शुरू कर दिए हैं। बताया जा रहा है कि मंत्री, विधायक की सिफारिश पर भी अब तबादले नहीं होंगे। तबादलों के लिए फाइलों पर ही डीओ नोट लिए जाएंगे।
पूरी जांच पड़ताल करने के बाद ही अगर तबादला सही माना जाता है, तो उसके बाद ही वह हो पाएगा। यानी की अब 80 हजार शिक्षकों का तबादला आसान नहीं होगा। अगर कोई कर्मचारी नेता बार -बार ट्रासंफर की सिफारिश करता है, तो उनके संगठन की मान्यता को रद कर दिया जाएगा। शिक्षा विभाग ने साफ किया है कि तबादले करने का अधिकार केवल प्रशासनिक अधिकारियों के पास ही होगा। वहीं नियमों के तहत ही तीन या पांच साल बाद शिक्षकों के तबादले पर सरकार विचार करेगी।
सबसे ज्यादा 4236 लेक्चर्स की ट्रांसफर
शिक्षा विभाग की ओर से जारी एक रिपोर्ट के अनुसार 144 हेड मास्टर, डीपीई 497, लेक्चरर 4236, सुपरिंटेंडेंट ग्रेड टू 231, सीनियर असिस्टेंट 57, क्लर्क 211, एसएलए, एलए 12, असिस्टेंट लाइब्रेरियन के 4, एलए-चपरासी के 1800 तबादले हुए हैं।