हिमाचल दस्तक
हिमाचल में अब पशुओं में संक्रामक रोग फैलने का खतरा बड़ गया है। पशुओं के पूरे शरीर में फोड़े हो रहे है। सबसे ज्यादा इस तरह के मामले जिला सिरमौर से सामने आए है। हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर के विकासखंड सराहां के अंतर्गत ग्राम पंचायत नैना टिक्कर के वार्ड नंबर 1 बड़ी-भूं पण्डाहाँ के गाँव रेंझी के पीयूष सेवल ने बताया कि उनका क्षेत्र इस समय पशुओं के एक गंभीर संक्रामक रोग से जूझ रहा है और उनके क्षेत्र के बहुत से पालतू पशु इस समय या तो मरने की कगार पर हैं या फिर तड़प तड़प कर अपनी जान गवां चुके हैं।
पशुओं के इस संक्रामक रोग में सबसे पहले पशुओं के पूरे शरीर पर फोड़े हो रहे हैं, जिसके कारण पूरे शरीर में सूजन और फिर बुखार आ रहा है। यही नहीं इसके बाद फिर पूरे शरीर पर जख्म हो रहे हैं और संक्रमित पशुओं ने खाना पीना भी छोड़ दिया है। बताया जा रहा है कि इस रोग के प्रभाव के चलते या तो पशु लगभग 8 से 10 दिनों तक लगातार खड़े रहने को मजबूर हैं या फिर बैठने के पश्चात उठ नहीं पा रहे हैं। पशुपालन विभाग की ओर स्थानीय पशु चिकित्सकों ने अपनी और से पशुओं को इस बीमारी से बचाने के लिए पूरी कोशिश की है लेकिन यह सभी उपाय गंभीर बीमारी के आगे नाकाफी साबित हो रहे हैं।
उन्होंने बताया कि जिस प्रकार पूरे विश्व में पहले कोरोना आया था जिसके कारण बहुत से लोगों को अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ा उसी प्रकार से उनका क्षेत्र वर्तमान में पशुओं की इस गंभीर बीमारी से जूझ रहा है। इस बीमारी का सबसे अधिक प्रभाव दुधारू पशुओं एवं गर्भवती गाय पर हो रहा है।
इन क्षेत्रों में पशु रोग खतरा
नैना टिक्कर क्षेत्र के कई गांवों जैसे रेंजी, पण्डाहाँ, दभाड़ा, ढाकी, खलेन्जी, स्वानजी, टिक्कर, नैना टिक्कर गांव में इस समय यह रोग बुरे तरीके से फैल चुका है। क्षेत्र के ग्रामीणों पीयूष सेवल, माघवानंद शर्मा, इंद्र दत्त शर्मा, हरनाम सिंह, ईश्वर सिंह, विजय गौतम, अमिचंद गौतम, विक्रम ठाकुर आदि ने हिमाचल प्रदेश के पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर एवं मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मांग की है कि तत्काल प्रभाव से पशु विशेषज्ञों की एक उच्च स्तरीय समिति का गठन कर उनके क्षेत्रों में पशुओं की जांच के लिए भेजा जाए तथा बीमारी के सैंपल को प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा जाए।