एजेंसी। वॉशिंगटन
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के परसेवेरेंस रोवर के साथ मंगल पर पहुंचा इनजीनिटी हेलिकॉप्टर ने उड़ान भरकर इतिहास रच दिया है। करीब 6 साल की कड़ी मेहनत के बाद बनाए गए इस हेलिकॉप्टर की लाल ग्रह पर होने वाली पहली उड़ान को लेकर पूरी दुनिया में उत्सुकता का माहौल था।
नासा के कई चैनलों के जरिए इस ऐतिहासिक घटना का लाइव प्रसारण किया गया। इनजीनिटी हेलिकॉप्टर ने मंगल ग्रह के जेजेरो क्रेटर में बने एक अस्थायी हेलिपैड से उड़ान भरी। यह धरती के अलावा पहली बार किसी दूसरे ग्रह पर हेलिकॉप्टर की उड़ान है। इस मिशन को नासा के कैलिफोर्निया स्थित जेट प्रोपल्सन लैबरेटरी से कंट्रोल किया गया।
30 दिन में चार बार भरेगा उड़ान
इनजीनिटी अपने रोटर के सहारे पहली बार उड़ान के दौरान लगभग 10 फीट की ऊंचाई प्राप्त किया। इसके बाद यह धीरे-धीरे नीचे भी उतर गया। अब इनजीनिटी हेलिकॉप्टर 30 दिन के अंदर मंगल पर चार बार और उड़ान भरने का प्रयास करेगा। हर उड़ान पिछले से ज्यादा ऊंचाई और दूरी तक की जाएगी। इससे यह हेलिकॉप्टर उच्चतम स्तर को पा सके।
नासा के वैज्ञानिकों को थी यह सबसे बड़ी चिंता
हेलिकॉप्टर की प्रॉजेक्ट मैनेजर मिमि आंग ने कहा था कि हमारी टीम सोमवार को मंगल ग्रह पर उड़ान भरने का प्रयास करेगी, लेकिन हम यह भी जानते हैं कि हमें फिर से मेहनत करते हुए दोबारा प्रयास करना पड़ सकता है। आंग ने यह भी कहा था कि इंजीनियरिंग की दुनिया में हमेशा अनिश्चितता बनी रहती है लेकिन यह अत्याधुनिक तकनीक पर काम करने को रोमांचक और प्रतिफल देने वाला बनाता है।
इनजीनिटी को ३ अप्रैल को अपनी ‘उड़ान पट्टी’ में तैनात किया गया था और अब यह अपने 30-सोल (31-पृथ्वी दिवस) उड़ान परीक्षण खिड़की के सोलहवें या रूड्डह्म्ह्लद्बड्डठ्ठ दिन में है। टीम आने वाले दिनों में डेटा प्राप्त करना और विश्लेषण करना जारी रखेगी, फिर दूसरी उड़ान के लिए एक योजना तैयार करेगी, जो 22 अप्रैल से पहले नहीं होगी। आंग ने कहा कि हम अपनी सफलता का जश्न मनाने के लिए कुछ समय लेंगे और फिर ऑरविल और विल्बर से एक क्यू लेंगे। इतिहास से पता चलता है कि वे काम पर वापस आ गए, जितना वे अपने नए विमान के बारे में जान सकते हैं और इसलिए हम करेंगे।
मंगल के पतले वातावरण में उड़ेगा इनजीनिटी
नासा केइनजीटिी स्वायत्त रूप से अपनी पूरी उड़ान का संचालन किया। लगभग 1.8 किग्रा का यह रोटरक्राफ्ट अपने चार कार्बन-फाइबर ब्लेड के सहारे उड़ान भरी। जिसके ब्लेड 2400 राउंड प्रति मिनट की दर से घूम सकते हैं। यह स्पीड धरती पर मौजूद हेलिकॉप्टरों के ब्लेड की रोटेटिंग स्पीड से लगभग 8 गुना ज्यादा है। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि मंगल का वातावरण धरती की तुलना में 100 गुना अधिक पतला है।