हे राम, जयराम पर हावी न हो मोदी की सोच, मंत्रिमंडल में फेरबदल या उठापटक घबराहट का माहौल, कोई कुर्सी पाने तो कोई बचाने की जुगत में
उदयबीर पठानिया : चीफ मिनिस्टर जयराम ठाकुर दिल्ली में दिल लगाए हुए हैं। शायद ही कभी इतनी बेसब्री से किसी चीफ मिनिस्टर का इंतजार इतनी शिद्दत के साथ किसी ने किया होगा, जितना ठाकुर साहब का हो रहा है। मौजूदा मंत्रिमंडल यह दुआ कर रहा है कि ‘हे भगवान कहीं ठाकुर पर वो सोच हावी न हो जाए जो पहली दफा पीएम बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने अपनाई थी।’ इस सोच के तहत मोदी ने साल होने से पहले ही अपने मंत्रिमंडल में से 9 मंत्रियों की छुट्टी करते हुए 6 नए चेहरे अपने साथ शामिल किए थे।
परफॉर्मेंस के बेस पर कई मंत्रियों के महकमे बदल दिए थे। अब यही डर हिमाचल के मंत्रियों को सता रहा है कि कहीं पत्ता न साफ हो जाए? या फिर जिन महकमों में बैठ कर वे पत्ते फेंट रहे हैं, उन महकमों का ही पत्ता न कट जाए? ऊपर से आफत यह हो गई है कि मिस्टर चीफ मिनिस्टर दिल्ली से लौटने का नाम नहीं ले रहे। उनके टूअर प्रोग्राम में सबको अपना सियासी टिपड़ा (कुंडली) नजर आ रहा है। उनकी वापसी में किसी को अपनी ग्रहदशा में राजयोग के आसार नजर आ रहे हैं तो किसी को साढ़े-साती या ढैय्ये का खौफ सता रहा है।
खबर यह भी आ रही है कि या तो ठाकुर सबकी चूलें हिला सकते हैं या फिर उनकी जड़ों में सियासी तेल दे सकते हैं जो सरकार की छवि और ताकत को कमजोर कर रहे हैं। वजह यही बताई जा रही है कि कई मंत्री परफॉर्मेंस के मामले में कमजोर हैं, मगर क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों के आधार पर मजबूत हैं। ऐसे में अगर छंटनी का शिकार न हुए तो इनकी गाड़ी-झंडी तो बरकरार रहेगी, मगर महकमे बदल कर इनकी ठसक को कम किया जा सकता है। जबकि जिनको अच्छे दिनों की उम्मीद है, उनको महकमे भी अच्छे दिए जा सकते हैं।
इस मुहिम में खास यह रहेगा कि जिनके महकमे छीने जाएंगे, उन मंत्रियों के जिलों में ही वह महकमे रहेंगे। बस महकमों के मालिकाना हक सियासी वसीयत में बदल जाएंगे। यही वजह है कि अब घबराहट बढ़ती जा रही है। मंत्री बनने की चाह रखने वालों का ब्लड प्रेशर हाई, तो खतरा महसूस करने वालों का लो होता जा रहा है। पर दर्द ऐसा है कि न तो कोई जाहिर कर पा रहा है न छुपा पा रहा है। आलम यही बना हुआ कि मंत्री पद की आस लगाने वालों के दिल मचल-मचल जा रहे हैं, तो गोल-गोल घूम रही सियासत की वजह से कइयों के दिलों में घबराहट हो रही है।
हमसे भी मिल लो
चीफ मिनिस्टर लगातार दिल्ली में डटे हुए हैं। उधर सीएम ने आला नेताओं से मिलने-मिलाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी हुई है तो इधर हिमाचल में उनसे मिलने-मिलाने के लिए हिलोरे उठ रहे हैं। कोई ठाकुर को मनाने तो कोई पटाने की हसरतें पाले हुए है। पर ठाकुर प्रकट नहीं हो रहे। अभयदान और वरदान की प्राप्ति के लिए सर्वसिद्धि योग को सिद्ध करने में सब लगे हुए हैं।
सरकार का एसिड टेस्ट
सियासी माहिर यह मान रहे हैं कि या तो अबकी बार सबकुछ आर-पार होगा या फिर मामूली सा झटका होगा। झटका हुआ तो सबको यह डर
रहेगा कि आने वाले दौर में भूकंप से बचा जाए। इनका यह भी कहना है कि सियासत है ही लोभ तो प्रलोभन की पुडिय़ा भी सीएम अपने पास रख सकते हैं।
जहां से मंत्री गए वहीं से…
एक अन्य फॉर्मूला भी चर्चा में है। कइयों को यह डर रहा कि कहीं ऐसा न हो कि चीफ मिनिस्टर सिर्फ मंडी और कांगड़ा संसदीय क्षेत्रों से नए मंत्री बना कर बकाया की उम्मीदों को खत्म कर दें। वजह भी है कि अनिल शर्मा पर पुत्रमोह और किशन कपूर पर लोकसभा की उम्मीदवारी की गाज न गिरी होती, तो दोनों संसदीय क्षेत्रों में ये मंत्री होते। डर यह भी है कि कहीं ठाकुर एक को मंत्री बना कर दूसरे पद की टॉफी जेब में ही रख कर सबको ललचाते हुए ही रखें।