कांग्रेसी बड़े तगड़े पहलवान हैं। मौका न बी मिले तो बी दंगल सजा लेते है। बड्डे-बड्डे कांग्रेसी लड़ते हैं तो छोटे-छोटे कांग्रेसीए बी ढोल बज्जने शुरू हो जाते हैं। बस इक्क संघी भाई ही हैं जो अपणे हाईकमान के आगे नाचते हैं। इन दिनों कांग्रेसियों में नया पम्बड़पुसा पड़ा हुआ है। भाजपा से लडऩे की बजाय आपस मे ढस्सो-ढस्सी कर रहे हैं। पंगा पड़ा हुआ है कि राठौर को लम्मा पाणा है और उनकी जगह ऊने वाले पंडत जी को प्रधान बनाना है। पंगा इत्थे ही नहीं रुकता है। नई डंड कलह यह है कि पंडत जी की जगह नेता विपक्ष कौण बनाना है? नाम आ रहा है भाई सुक्खू का।
बोल रहे कि बामण पाई परदान तो ठाकर पाई नेता विपक्ष बणा देणे। पर ओ कांग्रेसी लड़ाई ही क्या जो राम नाल निबड़ जाए। नया फार्मूला आ गया है। इसमें धनीराम शांडिल को नेता विपक्ष तो राजा साब के मुन्नू टिक्का साब को उपनेता बणा दिया जाए। वैसे न हद ही है। बोलणे वाले तो यह बी बोल रहे हैं कि जब तक कांगड़े के दो बड्डे बामणों की शांति नहीं होती तब तक कांग्रेसी क्रांति कायम ही रहनी।
अपणे सुदीर पाई की कातिलाना स्माइल और राजसी अंदाज वाले बाली अंकल की बादशाहत को कुछ लोग बाहर-बाहर से गठजोड़ करके कैसे गेड़ा दे सकते हैं। चम्बे की राणी आशा मैडम जी ने भी कोई ठेका तो नहीं ले रक्खा है कि वह राजा साब की सरकार में मंत्री बी न बणे और अब हमउम्रों की जमात का मॉनिटर बी न बणे। जंग होणी लाजमी है भाई जी। देखी जाओ, ढोल बी बज्ज्ने हैं और टमक बी…