शैलेश सैनी। नाहन
पांवटा साहिब यूनिक फॉर्मूलेशन नशे की दवा मैन्युफैक्चरिंग मामले में एक और बड़ा खुलासा हुआ है। इस बड़े खुलासे में जो मुख्य बात सामने आई है, उसके तहत यूनिक फॉर्मूलेशन से खरीदी गई दवा कागजी कार्रवाई के बाद ही दी गई होगी।
इस बात की पुष्टि इसलिए भी होती है क्योंकि इस पूरे कांड से जुड़ा मानसी मेडिकोज का मालिक प्रेम अब कुरुक्षेत्र पुलिस की गिरफ्त में है। 19 मई, 2021 को हरियाणा के कुरुक्षेत्र स्थित कृष्णा गेट थाना ने प्रेम को गिरफ्तार कर लिया था। हुआ यह था कि करीब 70 गोली ट्रामाडोल के साथ एक व्यक्ति कुरुक्षेत्र में गिरफ्तार किया गया था। हरियाणा पुलिस ने बड़ी गहनता से इस सप्लाई चेन तक पहुंच कर बड़ा खुलासा किया। पता चला कि यह नशे के कैप्सूल मानसी मेडिकोज के द्वारा दिए गए थे।
अब आपको मानसी मेडिकोज की कार्यप्रणाली के बारे में भी जानकारी देना जरूरी है। मानसी मेडिकोज एक रजिस्टर्ड फर्म है जो कि मयूर बिहार फेस 3 दिल्ली से संचालित होती है। इस फर्म का मालिक गिरफ्तार किया गया व्यक्ति प्रेम है। प्रेम के पास होलसेल दवा का लाइसेंस है। हालांकि हरियाणा पुलिस ने उसका लाइसेंस भी रिकवर कर लिया है। लाइसेंस को जांच के लिए भेज दिया है कि वह असली है या नकली।
मानसी मेडिकोज ने उत्तराखंड का एक पंकज नाम का युवा भी अपने साथ रखा हुआ था। पंकज कंपनियों के आर्डर लिया करता था और यह आगे आर्डर करता था। पंकज मेल पर परचेज ऑर्डर (पीओ) लेता था। जैसा कि मानसी से पीओ लिया और ऑर्डर के लिए दवा का पीओ अपनी मेल से दवा निर्माता को भेज देता था।
कुरुक्षेत्र वाले मामले में ट्रामाडोल रोजेक्ट मेडिकेयर सोलन हिमाचल प्रदेश से बनवाई गई थी। दवा का डिस्पैच पूरे पेपर फॉर्मेलिटीज के साथ नंबर 1 में मानसी मेडिकोज के लिए ट्रांसपोर्ट के माध्यम से डिस्पैच हो जाती थी। दिल्ली में इस डिस्पैच को मानसी का मालिक प्रेम रिसीव कर लेता था। यहां तक फैक्टरी से दिल्ली तक सारा कारोबार नंबर 1 में होता है।
असली खेल दवा को नशे के लिए बेचे जाने को लेकर प्रेम के आगे रखे व्यक्तियो को काम सौंपा जाता है। प्रेम के लिए कार्य करने वाले यह व्यक्ति बिना बिल के बिना किसी आर्डर के आगे दवाएं सप्लाई करवाता था। यह दवाएं बगैर ऑर्डर बगैर किसी बिल के अलग-अलग लोगों को बेची जाती थी। आपको यहां यह भी बता दें कि मानसी मेडिकोज कालाअंब पांवटा साहिब और सोलन की फार्मा से भी दवाई बनवा चुका है।
इस तरह से यह नशे की दवाओं का कारोबार चलता है। इसमें सबसे ज्यादा दिक्कत और परेशानी हिमाचल प्रदेश की उन फार्मा यूनिट को उठानी पड़ती है जिनसे पूरे पेपर वर्क के साथ यह दवाई खरीदते हैं। इनका पेपर वर्क पूरी तरह से लीगल होता है जिसकी जांच हरियाणा पुलिस कर भी चुकी है। हरियाणा पुलिस मानसी के मालिक प्रेम की गिरफ्तारी के बाद इंक्वायरी करने के लिए रोजेक्ट फार्मा भी जा चुकी है। जहां उन्होंने पाया कि इस फार्मा के द्वारा पूरा लीगल प्रोसेस अपनाकर ही ऑर्डर मिली दवा को बनाकर भेजा गया है।
अब उधर यूनिक फॉर्मूलेशन वाले मामले में भी कहानी बिल्कुल इसी पृष्ठभूमि पर है। मगर यहां पंजाब पुलिस मोहनीश मोहन को जो की फैक्ट्री का प्रोपराइटर था उसे गिरफ्तार कर के ले जा चुकी है। जबकि प्रोपराइटर के पास इस दवा के निर्माण की पूरी अथॉरिटी भी है और पेपर वर्क भी कुरुक्षेत्र वाले मामले की तर्ज पर सही रहा होगा। मगर बड़ी बात यहां यह है की फैक्टरी में रेड किए जाने के दौरान ड्रग डिपार्टमेंट और पंजाब पुलिस के समक्ष मोनिश मोहन यह साबित नहीं कर पाया कि दवा दिल्ली की जगह अमृतसर कैसे पहुंच गई। अब वह इस चीज को तभी बता पाता जो उसको प्रेम और उसके बीच की कडिय़ों के बारे में पता होता।
इस चीज के बारे में हम पहले भी बता चुके हैं कि मनीष मोहन केवल एक मोहरा है। उसे प्रोपराइटरशिप भी किसी के द्वारा खुद को बचाने के लिए दी गई है। ऐसा नहीं है कि दवा आगे कहां जा रही है, किसको जा रही है कैसे जा रही है मनीष को पता नहीं हो। निश्चित ही उसे पता जरूर होगा मगर उसका अपना पेपर वर्क जब सही है तो आगे क्या खेल चल रहा है उसमें उसका रोल नजर नहीं आता है।
पंजाब पुलिस इस पूरे प्रकरण को लेकर अब और फैक्टरियों में भी रेड कर सकती है। संभवतः काला अंब कि जिस फैक्टरी का नाम सामने आ रहा है वहां भी पंजाब पुलिस दबिश दे सकती है।
उधर एसपी कुरुक्षेत्र हिमांशु गर्ग से बात की गई तो कुरुक्षेत्र पुलिस के पीआर ने मानसी मेडिकोज के प्रोपराइटर प्रेम को गिरफ्तार करने की पुष्टि की है।
उधर ड्रग कंट्रोलर नवनीत मरवाह का कहना है कि फार्मा यूनिट के द्वारा क्वार्टरली रिटर्न फाइल की जाती है। मार्केटिड बाय का सिस्टम मार्च महीने से शुरू हुआ है। इसके तहत मार्केट बाय फर्म के साथ दवा निर्माता का एग्रीमेंट भी होना चाहिए।
अब यूनिक फॉर्मूलेशन को यह एग्रीमेंट किए जाने से पहले यह पुष्टि कर लेना जरूरी होना चाहिए कि क्या जिसके साथ वह एग्रीमेंट कर रहा है उसका लाइसेंस जायज है या नहीं। यह पूरी जिम्मेदारी प्रोपराइटर की बनती है।
ड्रग विभाग के तहत ली गई परमिशन के बाद ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट के तहत दवा निर्माता को दवा बनानी भी है उसका टेस्ट भी करना है और उसको बेचना भी है। ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट की कहीं वायलेशन पाई जाती है तो कार्यवाही की जाती है।