हिमाचल दस्तक। जवाली
जवाली में स्थित नौण विकास समिति के सदस्यों ने प्राकृतिक स्रोत नौण नामक जल सरोवर को तकरीबन कोरोना काल की वजह से 2 साल बाद साफ किया गया। इस प्राकृतिक मानसरोवर को अच्छे तरीके से साफ किया गया। आपको बता दें कि इस सरोवर में जो जल गिरता है वह एक प्राकृतिक स्रोत है, और बहुत ही पौराणिक है। इस बारे में जान पाना हर किसी के लिए पहेली है कि यह प्राकृतिक स्त्रोत्र का जल कहां से आता है।
नौण विकास समिति के सदस्य ने बताया कि गुलेर रियासत के राजा ने नूरपुर रियासत के राजा की बेटी से शादी की परंतु रियासतों की रंजिश के चलते राजा ने अपनी पत्नी को सियासी रंजिशो के चलते ज्वाली नामक स्थान पर महल बनाया गया। माना जाता है कि राजा ने पहले प्राकृतिक स्रोत देखा था, तभी रानी के लिए इस जगह पर महल की रचना की। लगभग यह महल और प्राकृतिक स्रोत से निकलने वाले सरोवर का निर्माण 1720 ईस्वी बताया जाता है।
इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह प्राकृतिक स्रोत 1720 ईस्वी से पहले का है। इस प्राकृतिक स्तोत्र से बहुत से लोगों को पानी की सुविधा मिलती है। राजा द्वारा बनाए गए प्राकृतिक स्रोत के पास सरोवर की देखरेख स्थानीय लोगों द्वारा समय-समय पर की जाती रही परंतु इसका जीर्णोद्धार नहीं हो रहा था इसलिए स्थानीय लोगों ने नौण विकास समिति 2008/2009 ने कमेटी को रजिस्टर्ड किया गया।
आपको बताते चलें कि जब से यह नौण नामक प्राकृतिक जल सरोवर विकास समिति के अंदर आया है। तब से इस जगह का नक्शा ही बदल गया है। यहां पर एक भव्य शिव मंदिर का भी निर्माण करवाया गया। जिसमें ज्वाली तो क्या दूर दूर से लोगों का भी सहयोग रहा यहां पर लोगों की सुविधा के लिए पुरुष एवं महिलाओं की सुविधा के लिए शौचालय एवं स्नान गृह की भी अलग से व्यवस्था की गई है। यहां पर गोपाल बाल वाटिका नाम से पाक भी बनाया गया है, जहां पर बच्चों की सुविधा को देखते हुए झूले एवं अन्य और भी वस्तुएं रखी गई है। यहां का वातावरण मन को मोह लेने वाला है, नौण विकास समिति द्वारा यहां पर सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है।