शिमला: मंत्री को दी गई महंगी फॉच्र्युनर का एक्सीडेंट होने पर कृषि विभाग में मचे कोहराम के बीच खुद कृषि मंत्री डॉ. रामलाल मार्कंडेय ने अपनी बात रखी है। हिमाचल दस्तक से बातचीत में मंत्री ने कहा कि ये गाड़ी उनके परिवार के साथ चंडीगढ़ नहीं गई थी, बल्कि विधानसभा में लगने वाले सवालों के जवाब लेकर चंडीगढ़ आई थी, क्योंकि उन्होंने ये फाइलें साइन करनी थीं। ये हादसा रविवार पहली मार्च का है।
शनिवार 29 फरवरी को वह बिलासपुर से चंडीगढ़ गए थे, जहां एक यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में उन्हेंं शामिल होना था। वापसी पर ड्राइवर बद्दी होते हुए शिमला लौट रहा था। रास्ते में ये गाड़ी हादसे का शिकार हो गई। इस गाड़ी की लॉगबुक न भरे जाने के बारे में पूछे जाने पर मार्कंडेय ने कहा कि लॉगबुक तब भरी जाएगी, जब ड्राइवर शिमला आएगा। गाड़ी भी शिमला नहीं आई है। इसे शोघी में ही कंपनी वर्कशॉप पर लगाया है। उन्होंने कहा कि उस दिन का टूअर चंडीगढ़ जाने से पहले पुलिस और संबंधित विभागों को भेजा गया है।
इसे वहां से कंन्फर्म किया जा सकता है। गौरतलब है कि मंत्री के पक्ष से एकदम अलग इसी गाड़ी को लेकर कृषि विभाग में हंगामा मचा हुआ है कि इस टूअर को कैसे जस्टिफाई करें? गाड़ी के ड्राइवर को डर है कि रिपेयर के खर्च की वसूली कहीं उससे न हो। इधर, विभाग के निदेशक पिछले तीन दिन से ये भी मानने को तैयार नहीं थे कि उनकी गाड़ी का हादसा हुआ है, जबकि ये गाड़ी निदेशक कृषि के नाम पर ही रजिस्टर्ड है।
37 लाख की गाड़ी 27 लाख की रिपेयर
कृषि विभाग ने मंत्री को देने के लिए ये फाच्र्युनर 37 लाख में 2018 में खरीदी थी। अब हादसे के बाद इसकी रिपेयर का एस्टीमेट 27 लाख का आया है। कंपनी एक हजार रुपये प्रतिदिन अलग से चार्ज कर रही है। अब गाड़ी 8 दिन से वर्कशाप में खड़ी है और मीटर चल रहा है। गाड़ी को सोलन से शिमला क्रेन से लाने पर ही 75 हजार पहले खर्च हो चुके हैं। ऐसे में अब सवाल ये भी है कि इसे रिपेयर किया जाएगा या कंडम होगी।