- राज्यपाल ने मंदिर न जाने देने पर दुख जताया
- बोले-सीएम सुनिश्चित करें राज्य में दोबारा न हो ऐसी घटना
हिमाचल दस्तक ब्यूरो। शिमला : विधानसभा में जातिगत भेदभाव की आपबीती सुनाने वाले जयराम सरकार के सामाजिक न्याय मंत्री डॉ. राजीव सहजल ने अब सोशल मीडिया पर भी अपनी बात रखी है। उन्होंने एक रोज पहले विधानसभा में एससी/एसटी आरक्षण संबंधी बिल पर कहा था कि वह खुद भी मंडी के नाचन में स्थानीय भाजपा विधायक के साथ दौरे पर थे, लेकिन मंदिर के भीतर नहीं जा पाए थे।
अब उन्होंने फेसबुक पर यह लिखा है-भारत एक पुरातन राष्ट्र है हजारों ऋषि-मुनियों के लाखों वर्षों के तप और शोध के फलस्वरूप हमारी अद्वितीय प्रकार संस्कृति विकसित हुई। इसके कारण इस राष्ट्र ने समस्त विश्व का मार्गदर्शन किया और विश्व गुरु कहलाया। इस महानतम संस्कृति को संजोने संवारने में राष्ट्र के सभी वर्गों, सभी जातियों के लोगों ने समान रूप से त्याग और बलिदान किए हैं। राष्ट्र निर्माण में किसी भी जाति या वर्ग के योगदान को कम नहीं आंका जा सकता। एक वर्ग ने धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए सशत्र युद्ध लड़कर प्राणों के बलिदान दिए वे क्षत्रिय कहलाए।
एक वर्ग ने ज्ञान के संरक्षण और संवर्धन के लिए योगदान दिया वे ब्राह्मण कहलाए और अन्य ने समस्त समाज की सेवा की। उन्होंने वह कार्य की जो अन्य सभी ने नकारा वह शुद्र कहलाए, लेकिन महानता हमारी संस्कृति की यह थी कि किसी वर्ग ने जो कार्य किए एक-दूसरे के पूरक बनकर किए और कभी भी आपस में किसी भी प्रकार के जातीय भेदभाव का जिक्र न तो हमारे धार्मिक ग्रंथों में मिलता हैं, न ही कोई ऐसा उदाहरण इस राष्ट्र के इतिहास में मिलता है।
समय के साथ हमारे समाज मे विकृतियां आई, हम विदेशी आक्रांताओं की इस राष्ट्र को तोडऩे की अपनी कुत्सित और कुंठित मंशा के शिकार हुए। हमने आपस में जाति के आधार पर आपस में भेदभाव शुरू किया। जो वर्ग एक-दूसरे के पूरक थे वे एक-दूसरे के विरोधी हो गए। जहां देश में विभिन्न सामाजिक संस्थाएं इन कुरीतियों को समाप्त करने के लिए प्रयासरत हैं।
वहीं वामपंथ रूपी भारत विखंडन ताकतें इन कुरीतियों को अपनी ओछी राजनीति के लिए नाजायज फायदा उठाकर विभिन्न जातियों को एक-दूसरे के विरोधी के रूप खड़े करने का कुंठित प्रयास कर रही है। चिंता का विषय यह है कि हमारे लोग भी इस षड्यंत्र का शिकार हो रहे हैं।
मंत्री के खुलासे से सरकार की फजीहत
शिमला। एससी/एसटी आरक्षण विधेयक पर पिछले रोज विधानसभा में हुए चर्चा के दौरान सामाजिक न्याय मंत्री डॉ. राजीव सहजल का एक बयान सरकार की ही फजीहत करवा गया। राजभवन ने मीडिया रिपोट्र्स के आधार पर इस घटना की निंदा की है और अपनी ओर से दुख जताया है। मंत्री ने कहा था कि सरकार में मंत्री रहते हुए भी वह नाचन दौरे के दौरान इसलिए मंदिर के भीतर नहीं जा पाए, क्योंकि जाति के कारण लोग नाराज हो जाते।
इस पर राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने बाकायदा बयान देकर कहा कि देवभूमि में इस तरह की घटना से वह काफी आहत हैं। भारत का संविधान सामाजिक व्यवस्था में नागरिकों के समानता की बात करता है और नागरिकों के अधिकारों की पूर्णत: रक्षा करता है। समाज मेें जाति के आधार पर भेदभाव संविधान की मूल भावना के अुनकूल नहीं है। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि इस दिशा में लोगों को जागरूक करने के लिए दिशा निर्देश दें, ताकि देवभूमि की सार्थकता बनी रहे। ऐसी घटना दोबारा नहीं होनी चाहिए।