हिमाचल दस्तक। नाहन
कोरोना का बाप भी आ जाए तो भी किसान आंदोलन बंद नहीं होगा। 2021 का साल आंदोलन का वर्ष है। पहाड़ के किसानों को भी दिल्ली आंदोलन में शामिल होने की आवश्यकता है।
यह बात भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने बुधवार को पांवटा साहिब के हरिपुर टोहाना में संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से आयोजित महापंचायत में किसानों को संबोधित हुए कही।
उन्होंने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि ये शाहिन बाग का आंदोलन नहीं है, जो कोरोना के आने से खत्म हो जाएगा। ये किसानों का आंदोलन है जो जारी रहेगा, चाहे देश में कर्फ्यू लगा दिया जाए या फिर लॉकडाउन ही क्यों न लगे।
टिकैत ने ट्रिपल टी का नारा देते हुए कहा कि ट्रैक्टर, ट्विटर व टैंक ही देश को बचाएंगे। उन्होंने कहा कि किसान ट्रैक्टर के लिए तैयार रहे तो युवा ट्वीट को हैंडल करें। वहीं देश का जवान टैंकर से दुश्मन देशों के दांत खट्टे करवाएगा। उन्होंने 2004 के बाद सरकारी कर्मचारियों की बंद की गई पेंशन पर भी सरकार को घेरा।
टिकैत ने कहा कि प्रधानमंत्री ने अपील की थी कि एलपीजी की सब्सिडी सरेंडर कर दो तो अब देश हित में सांसदों व विधायकों से पेंशन सरेंडर करने की अपील करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम भी धर्म को मानते हैं, मगर मोदी सरकार ने 7 साल से देश को एक मंदिर के निर्माण में ही घुमा रखा है। उन्होंने कहा कि गुजरात में रिलायंस को 60 गांवों की जमीन आम की खेती के लिए दे दी गई। एक साजिश के तहत किसानों को सुप्रीम कोर्ट तक हरवा दिया गया।
टिकैत ने कहा कि आंदोलन को कुचलने के लिए एक गाइडलाइन बनी हुई है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को किसान विरोधी तीनों कानूनों को वापस लेना होगा। केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए 3 कृषि कानून किसानों को बर्बाद करने वाले कानून हैं।
राकेश टिकैत ने कहा कि पहाड़ के किसान को मंडियों तक पहुंचाने की व्यवस्था सरकार करे और जंगली जानवरों से फसलों को नुकसान पहुंचाने पर किसानों को मुआवजा दे।
उन्होंने कहा कि सरकार का सड़कें व विकास करने का काम होता है लेकिन 7 साल से सरकार का काम मंदिर बनाने में बीत गया। जब तक केंद्र सरकार 3 कृषि कानून को वापस नहीं लेती है, तब तक संघर्ष जारी रहेगा। इस मौके पर सरदार गुरनाम सिंह, बलबीर सिंह, अभिमन्यु, डॉ. दर्शन पाल आदि कई नेता उपस्थित रहे।