साहिल डढवाल। नूरपुर
अकसर देखने में आता है कि पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा पात्र लोगों को बीपीएल में शामिल न कर अपात्र लोगों को इसका लाभ दिया जाता है। ऐसा ही एक मामला नूरपुर विकास खंड के तहत आती कमनाला पंचायत का है।
यहां न केवल एक परिवार जर्जर मकान में रहने को मजबूर है बल्कि बीमारी ने भी इस परिवार की कमर तोड़ दी है। कमनाला पंचायत के वार्ड नंबर 3 में रहने वाले रमन कुमार की हालत ऐसी है कि एक तरफ पत्नी कैंसर और लकवा जैसी बीमारी से जूझ रही है तो दूसरी ओर कच्चा मकान कभी भी गिर सकता है।
रमन कुमार की बात करें तो वह मूंगफली की रेहड़ी लगाकर परिवार का जैसे-तैसे पालन-पोषण कर रहा है तो साथ ही अपनी पत्नी को कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से बचाने की जद्दोजहद भी कर रहा है, लेकिन हैरानी इस बात की है कि पंचायत ने केवल यह कह कर इन्हें बीपीएल सूची में नहीं डाला क्योंकि इनके बच्चे एक निजी स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं।
वहीं जब इस बात की जानकारी रणजीत बक्शी जनकल्याण सभा के अध्यक्ष को मिली तो उन्होंने इस परिवार की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाए।
सभा के अध्यक्ष आईएएस अकिल बक्शी ने रोष व्यक्त करते हुए कहा कि सिर्फ एक कारण की वजह से इस परिवार को बीपीएल में नही डाला गया लेकिन बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो बीपीएल में शामिल होने लायक नही हैं लेकिन उन्हें शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि वह इस परिवार की हरसम्भव मदद करेंगे। साथ ही उन्होंने लोगों से भी अपील की है कि इस परिवार की मदद के लिए आगे आएं।
बच्चों को अच्छी शिक्षा देना क्या गुनाह है?
आईएएस अकिल बक्शी ने पंचायत प्रतिनिधियों से सवाल उठाया है कि क्या कोई गरीब व्यक्ति अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दे सकता? क्या किसी गरीब व्यक्ति को हक नही है कि वह अपने बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ाए?
उन्होंने कहा कि अगर एक गरीब व्यक्ति मेहनत-मजदूरी करके अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहता है तो पंचायत कैसे उन्हें बीपीएल की सूची से बाहर कर सकती है?