देवेंद्र गुप्ता। सुंदरनगर
पूरे विश्व में पर्यावरण को लेकर चिंता तो होती है, मगर जब तक जागरूक नहीं होंगे, तब तक न प्रकृति बचेगी और न ही वातावरण। रासायनिक खेती से किसान और बागवान पूरी तरह से लुट गया है।
आजकल ऑर्गेनिक खेती और बागवानी के जरिये किसान और बागवान अपनी जल, जमीन को रसायन मुक्त कर रहे हैं। इसके लिए सुंदरनगर के दो भाई नवीन गुलेरिया और निशांत गुलेरिया मिसाल बने हैं। नवीन, जो कि सॉफ्टवेयर कंपनी की अच्छे पैकेज की सैलरी छोड़कर आजकल अपने भाई निशांत गुलेरिया के साथ ऑर्गेनिक खेती में हाथ बंटा रहे हैं।
निशांत गुलेरिया, जो बैंकिंग और मार्केटिंग में एमबीए हैं, ने इस खेती को एक नई दिशा दी है। ये पिछले तीन साल से किसानों और बागवानों को ऑर्गेनिक खेती और बागवानी के बारे में खुद उनके पास जाकर समझा रहे हैं। इनकी लगन को देखकर ही प्रदेश के किन्नौर से लेकर पठानकोट, कुल्लू, मनाली व कई जिलों में किसान रसायन खेती को छोड़ चुके हैं। ऑर्गेनिक खेती से किसानों को बाजार में भी अच्छे दाम मिल रहे हैं। उपभोक्ता भी इनके उत्पाद हाथोंहाथ खरीद रहे हैं।