शैलेश सैनी। नाहन
देर रात पांवटा साहिब की एक दवा फैक्टरी में हुई कार्रवाई के बाद करीब 30 लाख नशे की टेबलेट सीज की गई हैं। इनकी अनुमानित लागत पंजाब पुलिस द्वारा 15 करोड़ आंकी गई है। सवाल तो यह उठता है कि क्या गिरफ्तार किया गया व्यक्ति सिर्फ मोहरा है? असल में इस फैक्टरी के द्वारा पहले कॉस्मेटिक बनाने के लिए अप्लाई किया गया था। इसमें मनीष मोहन के साथ एक बड़ा नाम भी जुड़ा हुआ था। फैक्टरी द्वारा पूरी ईमानदारी के साथ साफ-सुथरा कार्य किया जा रहा था।
सूत्रों की मानें तो कुछ समय बाद इस पूरे प्रकरण के पीछे एक बड़े खिलाड़ी द्वारा ट्रामाडोल बनाने के लिए इन्हें सुझाव दिया गया, क्योंकि यह दोनों कथित पार्टनर दवा की दुनिया में बिल्कुल नए खिलाड़ी थे। लिहाजा कथित खिलाड़ी के चंगुल में यह लोग फंस गए। जानकारी तो यह भी है कि गिरफ्तार किया गया व्यक्ति फैक्टरी में सिर्फ वर्कर था।
अब इस फैक्टरी में नए सुझाव के बाद ट्रामाडोल आदि दर्द निवारक दवा बनाने के लिए ड्रग डिपार्टमेंट को अप्लाई किया गया। तमाम औपचारिकताएं पूरी करने के बाद संवैधानिक तौर पर फैक्टरी को दवा बनाने का लाइसेंस मिला, मगर शातिर व्यक्ति द्वारा इस दवा के निर्माण के लिए फैक्टरी की प्रोपराइटरशिप मनीष मोहन के नाम कर दी गई।
ट्रामाडोल की मार्केट में डिमांड बहुत ज्यादा है। लिहाजा दवा का निर्माण भी व्यापक तौर पर किया गया। ड्रग डिपार्टमेंट की आंखों में धूल झोंकते हुए कथित माफिया के द्वारा ड्रग तस्करों को माल दिया जाने लगा। जानकारी तो यह है कि जिस व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है उसको मानसी मेडिकोज फर्म के नाम पर दवा सप्लाई का आर्डर लिया गया।
अब यह मानसी मेडिकोज असली फर्म है या नकली यह तो जांच का विषय है। मगर जो 50,000 टेबलेट की खेप अमृतसर में बरामद की गई, वह दवा पांवटा साहिब की दवा फैक्टरी में बनी थी, जबकि दवा की बिल्टी ट्रांसपोर्टर के माध्यम से दिल्ली के लिए मानसी मेडिकोज के नाम से काटी गई थी। हालांकि अभी जांच में ट्रांसपोर्टर को भी शामिल किया गया है या नहीं, इस बारे में जानकारी नहीं है, मगर यह तो साबित हो जाता है कि इस बड़े खेल में मनीष मोहन केवल एक मोहरा ही है, जबकि असली खिलाड़ी अभी भी गिरफ्त से बाहर है।
हालांकि सिरमौर पुलिस इस घटनाक्रम के बाद पूरी तरह से सक्रिय हो चुकी है। संभवतः नशे के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान को लेकर जो सोसाइटी बनाई गई है, उसके तहत सिरमौर पुलिस जल्द कोई बड़ा खुलासा भी कर सकती है।
चलिए अब थोड़ा आपको 2019 में लेकर चलते हैं। हिमाचल प्रदेश ड्रग डिपार्टमेंट द्वारा मिले इनपुट के बाद पांवटा साहिब के पूर् वाला में एक गोदाम सील किया गया था। इस गोदाम में भारी मात्रा में कोडीन और ट्रामाडोल नशे की दवाएं और रॉ मैटेरियल सील किया गया था। माल इतना ज्यादा था कि ड्रग डिपार्टमेंट को कार्रवाई करने में 2 दिन से ज्यादा वक्त लग गया था। इस गोदाम के साथ एप्पल फील्ड दवा फैक्टरी का नाम सीधे-सीधे जुड़ा था। इस एप्पल फील्ड में भी 3 पार्टनर बताए गए थे जिनमें से एक राजीव और एक पार्टनर नॉर्थ ईस्ट का बताया गया था।
जानकारी तो यह भी है कि यह दोनों व्यक्ति भी एप्पल फील्ड में मोहरे थे। सूत्रों की मानें तो इस पूरे खेल के पीछे हरियाणा, यमुनानगर के तरुण का नाम जुड़ा हुआ बताया जाता है। जानकारी तो यह भी है कि यह व्यक्ति बड़ा ही शातिर किस्म का खिलाड़ी है, जो कि फार्मा में आने वाले नए खिलाड़ियों को अपना मोहरा बनाता है।
उस दौरान भी एप्पल फील्ड की पार्टनरशिप यानी सारे कागज राजीव और एक अन्य व्यक्ति के नाम थे और जो गोदाम था, उसमें दूसरे राज्य की एक लड़की और पांवटा साहिब का एक युवक रखा गया था। इन सभी को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया था और मामला एनडीपीएस ऑल ट्रक कॉस्मेटिक एक्ट के तहत दर्ज किया गया था। यह मामला अभी भी माननीय न्यायालय में विचाराधीन चल रहा है। यहां सवाल तो कई उठते हैं जिनका क्रमबद्ध तरीके से खुलासा भी किया जाएगा।
बहरहाल जिला सिरमौर पुलिस अब इस पूरे प्रकरण को लेकर पूरी तरह से सक्रिय हो गई है। जिला सिरमौर पुलिस प्रमुख खुशाल चंद शर्मा ने बताया कि नशे के खिलाफ प्रदेश सरकार हर तरह की कार्रवाई करने में वचनबद्ध है। पुलिस प्रमुख ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इस पूरे नेटवर्क के तार जहां भी जुड़े हैं, उन्हें जल्द ही सलाखों के पीछे डाल दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि पंजाब पुलिस के साथ सिरमौर पुलिस ने पूरा सहयोग किया, जिसमें ड्रग डिपार्टमेंट को साथ लेकर कार्रवाई को अंजाम दिया गया।
https://himachaldastak.com/crime/drug-factory-owner-arrested-358341.html