हिमाचल दस्तक ब्यूरो। शिमला : पालमपुर में दिसंबर माह से जापानी मशरूम शिटाके का उत्पादन शुरू हो जाएगा। कैंसर से लडऩे के लिए यह मशरूम काफी कारगर सिद्ध होगा।
कृषि मंत्री रामलाल मार्कंडेय सहित विभाग के पांच अधिकारियों की टीम शिटाके का उत्पादन सीखने के लिए जापान गई थी। जहां से वे 8 दिन के प्रशिक्षण के बाद टीम लौट आई है। इससे पहले पालमपुर विश्वविद्यायल के तीन वैज्ञानिक जापान में तीन माह तक प्रशिक्षिण भी प्राप्त कर आए हैं। अब विभाग इन वैज्ञानिकों की सहायता से कृषि विश्वविद्यायल में मशरूम में काम शुरू करने जा रहा है।
मशरूम के उत्पादन से जहां युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान होंगे, वहीं लोग खासी कमाई कर सकेंगे। जापान में यह मशरूम 1800 रुपये प्रतिकिलो के हिसाब से बिकता है। हिमाचल में इसका रेट क्या होगा, यह उत्पादन पर निर्भर रहेगा। टीम का मानना है इसके सेवन से कैंसर जैसी बीमारी नहीं होती है। लकड़ी के बुरादे पर इसकी पैदावार की जाती है।
तीन महीने तक बीज लकड़ी के बुरादे में रहता है। इसके बाद अंकुर फूटने शुरू होंगे। यानी एक साल में लोग 6 बार जापानी मशरूम शिटाके की फसल ले सकेंगे। फसल लेने के बाद लोग लकड़ी के बुरादे को खेत में खाद के तौर पर इस्तेमाल कर सकेंगे। इसके उगाने के लिए प्रदेश में कलेक्शन सेंटर का निर्माण होगा।
हर जिले में होगा उत्पादन
प्रदेश सरकार जापानी मशरूम का उत्पादन प्रदेश के हर जिले में करेगा। इसके लिए सरकार लोगों को 4 फीसदी ब्याज पर लोन मुहैया कराएगा। जहां इसका उत्पादन किया जाना है, वहां सड़क और पानी की व्यवस्था सरकार खुद कराएगी।
हिमाचल में जापानी मशरूम शिटाके का उत्पादन किया जा रहा है। जापान में इसके उत्पादन की जानकारी हासिल की है। दिसंबर में इसे पालमपुर में शुरू किया जाना है। 90 और 10 फीसदी अनुपात में केंद्र सरकार राशि जारी करेगा।
-डॉ. रामलाल मार्कंडेय कृषि मंत्री