चंद्रमोहन चौहान : ऊना
लंबे अरसे से नौकरी की आस लगाए बैठे सैकड़ों पंजाबी शिक्षक बदहाली में जीवन जी रहे हैं। पंजाबी की डिग्रियां हासिल करने के बाद भी युवाओं को नौकरी नहीं मिल पा रही है। 21 नवंबर] 2019 में हरोली दौरे के दौरान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पंजाबी शिक्षकों को भर्ती करने की घोषणा की थी और शिक्षा विभाग को जल्द नीति बनाने के निर्देश दिए थे। लेकिन हैरत की बात यह है कि घोषणा के 3 साल बीत जाने के बाद भी पंजाबी डिग्रीधारकों के नौकरी पाने का सपना अधूरा ही है। इसे सरकार की नाकामी कहें या शिक्षा विभाग के अधिकारियों का ढिलमुल रवैया। लेकिन सुस्त सरकारी तंत्र का खामियाजा आज भी बेरोजगार युवाओं को भुगतना पड़ रहा है।
मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद भी आज भी पंजाबी विषय की फाइलें दफ्तरों में ही धूल फांक रही हैं। बता दें कि जिला ऊना में ही लगभग 22 स्कूलों में पंजाब शिक्षकों के पद रिक्त चल हैं, जिन्हें भरने के लिए शिक्षा विभाग ने कोई रुचि नहीं दिखाई है। सैकड़ों विद्यार्थी पंजाबी विषय पढऩे के इच्छुक हैं, लेकिन स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति न होने से छात्रों की इच्छा भी अधूरी है।
कुलविंद्र कौर, मंजीत सिंह, जगतार सिंह, सुजीता व सीमा ने कहा कि लंबे अरसे से नौकरी की आस लगाए बैठे हैं, लेकिन सरकारी तंत्र की ढीली प्रक्रिया के चलते उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि पंजाबी शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाई जाए ताकि उनकी नौकरी पाने की आस पूरी हो सके। उन्होंने कहा कि बेशक उन्हें पीरियड आधार पर ही नियुक्त किया जाए।
इन स्कूलों में चल रहे रिक्त पद
जिले के करीब डेढ़ दर्जन से अधिक स्कूल ऐसे हैं, जिनमें पंजाबी शिक्षकों के पद रिक्त चल रहे हैं। इनमें सीनियर सेकंडरी स्कूल घनारी, लोहरला, हरोली, सरोह, बाल स्कूल संतोषगढ़, बट कलां, नंगल खुर्द, पालकवाह, धर्मपुर, कांगड़, हीरां, भदसाली, छेत्रा, पंडोगा, ढक्की, पोलिया बीत, सिंगा, नगनोली, बालीवाल, खड्ड, बाथू व समनाल स्कूल शामिल हैं।
क्या कहते हैं अधिकारी
शिक्षा सचिव रजनीश का कहना कि पंजाबी शिक्षकों की पीरियड आधार भर्ती मामले को लेकर शिक्षा निर्देशालय से रिपोर्ट मांगी गई है। यह मामला विभाग के विचाराधीन है।