धर्मशाला :
2630 एसएमसी शिक्षकों के खिलाफ हो रही भर्ती पर राजकीय अध्यापक संघ ने कड़ा विरोध जताया है। संघ के प्रदेशाध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने सरकार को चेताते हुए कहा कि उक्त एसएमसी अध्यापक सरकार द्वारा निर्मित पॉलिसी एसएमसी ग्रांट इन ऐड के अंतर्गत पिछले आठ सालों से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। यही नहीं दूरदराज के क्षेत्रों में जहां नियमित अध्यापक अपनी सेवाएं देने से कतराते हैं, वहां भी इन एसएमसी शिक्षकों ने शिक्षा की अलख जगा कर प्रदेश को शिक्षा के क्षेत्र में कई बड़े सम्मान दिलाए हैं।
चौहान ने कहा कि आज इनकी आठ साल से दी जाने वाली अध्यापन सेवाओं को यूं अचानक समाप्त नही किया जा सकता। समूचा शिक्षक वर्ग व समाज के लोग इस अधिसूचना से क्षुब्ध हुए हैं। ज्ञात हो कि ये अध्यापक उस समय बीजेपी सरकार के कार्यकाल में ही बाकायदा स्थानीय एसडीएम की अध्यक्षता में बनी कमेटी द्वारा ही नियुक्त हुए थे। आज ये एसएमसी शिक्षक लगभग पचास साल की आयु को पार कर चुके हैं व इनके प्रदेश भर के 2630 एसएमसी शिक्षकों के परिवार को भूखा मरने की नौबत आ सकती है, जिसे राजकीय अध्यापक संघ हरगिज बर्दास्त नहीं करेगा।
चौहान ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज से आग्रह किया है कि इन शिक्षकों के परिवारों के हित में यथा शीघ्र इन एसएमसी शिक्षकों की बहाली व स्थाई नीति बनवाने हेतु प्रदेश के शिक्षा सचिव व शिक्षा निदेशक को अविलंब निर्देशित करें।
कॉलेजों में सहायक आचार्य का अनुबंध कार्यकाल हो दो वर्ष
शिमला। हिमाचल प्रदेश महाविद्यालय शैक्षिक संघ ने सरकार से मांग की है कि महाविद्यालयों में अनुबंध के आधार पर कार्यरत सहायक आचार्य के अनुबंध कार्यकाल को तीन वर्ष से दो वर्ष किया जाए। संघ के प्रदेश सचिव एवं मीडिया प्रभारी भरत खेपान ने जारी बयान में कहा कि संघ सरकार से यह भी मांग करता है कि भविष्य में होने वाली कॉलेज प्राध्यापकों की नियुक्ति अनुबंध की बजाय सीधे नियमित तौर पर की जाए, क्योंकि कॉलेज प्राध्यापकों को छोड़ कर अन्य सभी राजपत्रित अधिकारियों की नियुक्ति नियमित होती है।