वरिष्ठ संवाददाता, शिमला
हिमाचल प्रदेश में अगले महीने सितंबर से (सैक्स सार्टड सीमन) परियोजना शुरू हो जाएगी। राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत यह योजना शुरू की जा रही है। इसमें गाय/भैंसों में कृत्रिम गर्भाधान से बछिया, बछड़ी का ही जन्म सुनिश्चित किया जाएगा। इससे 90 प्रतिशत तक यह संभावना रहती है।
केंद्र सरकार ने इस परियोजना के लिए 841.65 लाख रुपए की धनराशि जारी की है। यह परियोजना सितंबर-2022 को राज्य के सभी 12 जिलों में एक-मुश्त लागू की जाएगी। अगर कृत्रिम गर्भाधान के दो प्रयासों के बाद भी गाय/भैंस गर्भवती नहीं होती तो संबंधित किसान की ली गई धनराशि वापिस कर दी जाएगी।
सैक्स सार्टड सीमन की 20 हजार खुराक की पहली खेप राज्य सरकार ने प्राप्त कर ली है। गुणवत्ता के मापदंडों पर जांचने परखने के बाद पालमपुर में रखा गया है।
इस खुराक के सैंपल में (एक्स) क्रोमोजोम की गुणवत्ता की जांच के लिए हैदराबाद में प्रयोगशाला में भेजा जाएगा तथा इसकी गुणवत्ता की वैज्ञानिक जांच के बाद इसे गायों/भैंसों पर प्रयोग किया जाएगा। इस कार्यक्रम के अंतर्गत वर्ष 2021-22 से 2025-26 के पांच वर्षों के दौरान 60 हजार प्रति वर्ष कृत्रिम गर्भाधारण की दर से 3 लाख कृत्रिम गर्भाधारण सुनिश्चित करके कुल 2 लाख 40 हजार बछिया/बच्छियों के जन्म का लक्ष्य रखा गया है। इस वर्ष राज्य में 1.68 लाख डोज उपयोग करके 60 हजार कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से 48 हजार बछिया /बच्छियों के जन्म का लक्ष्य रखा गया है।
इन गायों के लिए उपलब्ध होंगे टीके
पहाड़ी गायों को गिर, साहिवाल, क्रास ब्रैड जर्सी जैसी विकसित प्रजातियों के सैक्स सार्टड सीमन उपलब्ध करवाए जाएंगे ताकि भावी नस्ल दूधारू पैदा हो सके। इस प्रणाली में 90 फीसदी तक बछिया/बछड़ी पैदा होने की संभावनाएं होती हैं जबकि अभी तक बच्छड़ा तथा बछिया/बच्छड़ी लगभग बराबर प्रतिशत में पैदा होते हैं।
पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने बताया कि सितंबर माह से यह परियोजना शुरू हो रही है। प्रारंभ में केवल मात्र पशुपालन अधिकारियों/वरिष्ठ पशु चिकित्सकों को ही सैक्स सार्टड सीमन तकनीक प्रयोग करने की अनुमति होगी तथा बाद में मुख्य वैटनरी फार्मासिस्ट, पशुपालन सहायकों तथा अन्य वैटनरी फार्मासिस्ट स्टॉफ को सैक्स सार्टड सीमन तकनीक प्रयोग करने की अनुमति होगी।