शिमला:
मानव भारती विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्रियों के मामले में सुर्खियों में आई हरियाणा की निलंबित जिला रोजगार अधिकारी ममता ने शिमला पहुंचकर इस निजी विवि का काला चिट्ठा खोलकर रख दिया। इस दौरान उनके साथ मौजूद छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष रहे संपूर्ण सिंह चौधरी ने बताया कि पूरे देश में शिक्षा का फर्जीवाड़ा चल रहा है। देश की कुल 353 यूनिवर्सिटियों में कुछ को छोड़कर सभी इस फर्जीवाड़े के धंधे में संलिप्त हैं।
उन्होंने हिमाचल पुलिस और मीडिया का विशेष अभार जताया। रविवार को प्रेस क्लब में प्रेसवार्ता में संपूर्ण सिंह चौधरी ने कहा कि पूरे देश में शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक भ्रष्टाचार हो रहा है। विश्वविद्यालय छात्रों को आसानी से अपने जाल में फंसा रहे हैं और उनसे मोटी रकम ऐंठ कर फर्जी डिग्रियां दी जा रही हैं। ऐसे विश्वविद्यालय डिग्रियों को रेवडिय़ों की तरह बांट रहे हैं। पीएचडी की पांच वर्षों में इतनी डिग्रियां बांट दी गई हैं, जितनी एक सरकारी विश्वविद्यालय 50 साल में भी नहीं बांटता।
उन्होंने कहा कि सोलन जिले की मानव भारती विश्वविद्यालय के फर्जी डिग्री मामले से पूरा देश जाग गया है। पैसे की ताकत पर ऐसे विवि चल रहे हैं और किसी न किसी का आशीर्वाद भी उन्हें मिला हुआ है, लेकिन वह छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि ममता के बारे में भी ऐसा ही हुआ और उसे कितना प्रताडि़त किया गया, यह व्यथा उसके अलावा कोई दूसरा समझ नहीं सकेगा।
ममता ने बताया कि मानव भारती विवि ने फर्जी डिग्रियां बांट कर धन ऐंठा, वहीं अपनी ही डिग्री को फर्जी बताकर उसके खिलाफ मामला दर्ज करवा दिया। करनाल में अखबार में विज्ञापन देख कर उसने 50 हजार रुपये देकर एमए साइकोलॉजी की और उसी आधार पर उसे हरियाणा सरकार में जिला भाषा अधिकारी की नौकरी मिल गई। अपने ही परिवार के लोगों ने साजिश के तहत उनके खिलाफ षड्यंत्र रचा और उसकी डिग्री को फर्जी कहा गया।
विवि ने भी परिवार के लोगों से मिलीभगत कर कहा कि यह कोर्स तो उनके यहां करवाया ही नहीं जाता, जबकि दो बार उनकी डिग्री सत्यापित भी की गई थी। उसके खिलाफ पंचकूला और धर्मपुर थाना में मामला दर्ज करवा दिया गया और हरियाणा सरकार ने भी उसे नौकरी से निलंबित कर दिया। इसके बाद उन्होंने हिमाचल के पुलिस महानिदेशक एसआर मरडी से मुलाकात की और उन्होंने एसआईटी का गठन कर इस विवि के फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया। उन्होंने मांग की कि देश के उन सभी विश्वविद्यालयों की उच्च स्तरीय जांच की जानी चाहिए, जो फर्जीवाड़ा करके छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं।