शैलेश सैनी। नाहन
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का वह बयान दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है जिसमें उन्होंने कहा कि स्वर्ण समाज के गठन को लेकर 1-2 लोग स्वर्ण समाज के ठेकेदार बने हुए हैं। यह एक सामाजिक मुद्दा है। इसमें व्यक्तिगत छींटाकशी उचित नहीं है।
यह बात देवभूमि क्षत्रिय संगठन के प्रदेशाध्यक्ष रुमित ठाकुर ने कही। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री स्वयं भी स्वर्ण समाज से संबंध रखते हैं, ऐसे में स्वर्णों के लिए आयोग के गठन को लेकर उनका ऐसा बयान काफी दुखद है।
ठाकुर ने कहा कि स्वर्ण आयोग को गठन तो होगा इसके लिए और समय लगेगा, मगर इतना जरूर है कि मुख्यमंत्री जो स्वर्ण समाज से ही संबंध रखते हैं, उनके कार्यकाल में आयोग का गठन न होना उनके राजनीतिक सफर का काला अध्याय होगा।
ठाकुर ने स्वर्ण आयोग गठन के मामले को विधानसभा में उठाने पर विधायक विक्रमादित्य का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि विक्रमादित्य ने अपनी दूरदर्शी सोच को दिखाते हुए स्वर्णों की आवाज को बुलंद किया, जो तारीफ के काबिल हैं।
रुमित ठाकुर ने कहा कि छह महीनों से संगठन स्वर्ण आयोग के गठन को लेकर संघर्षरत है। इसमें सरकार को पहले 6 महीने का समय दिया गया। 12 अप्रैल को भूख हड़ताल शुरू की गई।
20 अप्रैल को सचिवालय का घेराव किया गया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने सरकार की ओर से तीन महीने के भीतर गठन का आश्वासन दिया। तीन महीने पूरे होने के बाद जब संगठन के पदाधिकारी अपनी मांग को लेकर मुख्यमंत्री आवास पर गए तो वे उनसे मिले बगैर ही चले गए।
दस घंटे तक सीएम कार्यालय के बाहर उनक इंतजार किया गया, मगर कोई उसने मिलने नहीं आया। केवल सीएम के राजनीतिक सलाकार त्रिलोक जम्वाल आए, उन्होंने स्वर्ण गठन की बात प्रदेश सरकार के समक्ष रखने का आश्वासन दिया।
उन्होंने कहा कि स्वर्ण आयोग के गठन को लेकर प्रदेश सरकार गंभीर नहीं है, जबकि यहां पर करीब 75 फीसदी स्वर्ण समाज के लोग हैं। ऐसे में सरकार को स्वर्ण आयोग गठन में क्या दिक्कत है यह समझ से परे है। रुमित ने कहा कि स्वर्ण आयोग के गठन को लेकर उनका संघर्ष जारी रहेगा।