मुख्य सचिव डॉ. बाल्दी ने प्राकृतिक खेती में बागवानी के महत्व पर दिया बल, मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई राज्य स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक
हिमाचल दस्तक ब्यूरो। शिमला : मुख्य सचिव डॉ. श्रीकांत बाल्दी ने कहा कि प्रदेश में किसानों की ओर से प्राकृतिक खेती को अपनाने में बागवानी की प्रमुख भूमिका है। किसानों के लिए प्राकृतिक खेती के तहत आने वाली विभिन्न फसलों से संबंधित पद्धतियों की एक सूची बनाई जानी चाहिए। प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने के लिए बड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए।
प्रशिक्षित किसानों की प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए रिफ्रेशर प्रशिक्षण आयोजित किए जाने चाहिए। यह बात डॉ. बाल्दी ने जैविक तथा शून्य बजट प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए गठित राज्य स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही। उन्होंने कहा कि वर्तमान वर्ष में इस योजना के तहत 50 हजार किसानों को प्रशिक्षण प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना के तहत अभी तक 29579 किसानों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया है, जिसमें से 15391 किसानों ने अपने खेतों में प्राकृतिक खेती शुरू कर दी है। राज्य की कुल 3226 पंचायतों में से 2209 पंचायतों को इस योजना के तहत लाया गया है। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2019.20 के लिए आवंटित 19.03 करोड़ रुपये की राशि में से 14.36 करोड़ सभी जिलों को विभिन्न गतिविधियों के लिए आवंटित किए गए हैं।
बैठक में मास्टर प्रशिक्षक को मार्च तक एक माह में अधिकतम पांच बार प्रशिक्षण प्रदान करने की स्वीकृति प्रदान की गई। इससे प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार किया जा सके। बैठक में कृषि तकनीक प्रबंधन एजेंसी आत्मा के तहत नियुक्त किए गए खंड तकनीक प्रबंधक बीटीएम और सहायक तकनीक प्रबंधक एटीएम को मार्च तक प्रतिमाह 2500 रुपये की अतिरिक्त राशि प्रदान करने को भी स्वीकृति प्रदान की गई।
बैठक में प्रधान सचिव कृषि ओंकार चंद शर्मा, शून्य बजट प्राकृतिक कृषि के राज्य परियोजना निदेशक राकेश कंवर, निदेशक कृषि डॉ. आरके कौंडल, निदेशक बागवानी डॉ. एमएल धीमान, निदेशक पशुपालन डॉ. स्वदेश कुमार चौधरी, डॉ. यशवंत सिंह परमार बागवानी एवं वाणिकी विश्वविद्यालय नौणी सोलन व चौधरी सरवन कुमार कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के प्रतिनिधियों सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।