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शानन विद्युत प्रोजैक्ट को लेकर हिमाचल बचाओ संघर्ष मोर्चा ने सांसद से की मुलाकात
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मामले को उठाओ केंद्र से, मोर्चा करेगा आंदोलन शुरू
हिमाचल दस्तक। मंडी : बरोट में स्थित शानन विद्युत प्रोजैक्ट को हिमाचल में शामिल करने के लिए एक बार फिर मुद्दा उठने लगा है। आरोप है कि 1922 में जो एमओयू अंगे्रेजों और मंडी राजा के बीच हुआ था वह पूरी तरह से निरस्त हो चुका है। उसके बाद किसी भी प्रकार का एमओयू हिमाचल सरकार से नहीं हुआ है और न ही पंजाब सरकार के साथ ऐसा कोई एमओयू साईन हुआ है।
लिहाजा तकनीकी तौर पर या तो एमओयू हिमाचल सरकार के साथ पंजाब सरकार को करना होगा या फिर हिमाचल सरकार को सौंपना होगा। इस बारे में हिमाचल बचाओ संघर्ष मोर्चा के प्रतिनिधियों ने सोमवार को मंडी के सर्किट हाउस सांसद मंडी राम स्वरूप शर्मा से शानन विद्युत प्रोजैक्ट के मुद्दे को उठाया।
इस बीच मोर्चा के अध्यक्ष लक्ष्मेंद्र सिंह गुलेरिया ने कई दस्तावेज सांसद को सौंपे और कहा कि इस मामले को केंद्र से उठाया जाए। मोर्चा इस पर आंदोलन शुरू करेगा। अध्यक्ष लक्ष्मेंद्र सिंह ने कहा कि इन दस्तावेजों के आधार पर ऊहल परियोजना इकरारनामे की शर्तों का पंजाब सरकार द्वारा उल्लंघन किया गया है।
इकरारनामें के अनुसार लगभग दुगने से भी ज्यादा विद्युत इकाईयां अभी तक स्थापित हो गई हैं। सन 1922 में किया गया इकरारनामा विद्युत उत्पादन के हिसाब से कई वर्ष पहले ही निरस्त हो चुका है। परिणाम स्वरूप इस विद्युत परियोजना का तबदीली मलकीयत हक रखने वाली केंद्रीय सरकार आदरपूर्वक घाटे में चल रही हिमाचल प्रदेश सरकार को सौंप दें। बताया जा रहा है कि जहां पर प्रोजैक्ट निर्मित किया गया है वह सारी जमीन केंद्र सरकार के नाम पर है। जबकि पंजाब के नाम पर कोई इंतकाल नहीं है।