बैजनाथ : कमल गुप्ता।
प्रदेश के जिला कांगड़ा, मंडी, चंबा तथा कुल्लू के भेड़ पालकों ने विश्व पशु चिकित्सा दिवस पर घुमंतू पशुओं की चिकित्सा सुनिश्चित करने के लिए हिमाचल घुमन्तु पशुपालक महासभा का विशेष अधिवेशन शनिवार को पपरोला ठारू में हुआ । प्रदेश के घुमंतू पशुपालन में आ रही बीमारियों की समस्याओं के बारे में आज एसडीएम बैजनाथ सलीम आज़म के माध्यम से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को ज्ञापन सौंपा। हिमाचल घुमंतू पशुपालक महासंघ के अध्यक्ष राजकुमार भट्ट व सचिव पवना कुमारी ने संयुक्त रूप में कहा के प्रदेश में भेड़ बकरी पालन व्यवसाय घुमंतू पशुपालक के रूप में पुश्तैनी तरीके से चल रहा है तथा वर्तमान में इनकी संख्या लगभग 20 लाख है जिसमें 8 लाख भेड़े तथा 12 लाख बकरीयां हैं जो कुल पशुधन संख्या का 40% है।
उन्होंने कहा कि पिछले तीन-चार वर्षो में भेड़ बकरियों में खुर मूहं तथा फुट रोट के रोग के कारण बहुत सारे भेड़ पालक को मजबूरी में कम कीमत पर पशुधन बेचने पर बड़े पैमाने का आर्थिक नुकसान झेलते हुए बेरोजगार होना पड़ा है। क्योंकि यह पशु साल भर घूमने के कारण जहां इनके स्थायी गांव में गणना होती है वहां नहीं टिकने के कारण समय समय पर टीकाकरण नहीं हो पाता है। उन्होंने कहा कि महासभा पशुपालन विभाग से मांग करती है कि घुमंतू पशुधन को चिन्हित करके तुरंत टीकाकरण किया जाए। बीमार चिन्हित किए गए घुमंतू पशुधन एवं स्वस्थ घुमंतू पशुधन को मुख्य बीमारियों के लिए पर्याप्त मात्रा में दवाइयां उपलब्ध कराते हुए टीकाकरण सुनिश्चित किया जाए।
घुमंतू पशुधन में फैली एफएमडी तथा फुट रुट की बीमारी के इलाज के लिए प्रभावी दवाइयों की किट बनाकर प्रशिक्षित दल गठित करके हर घुमंतू पशुपालक के डेरे में भेजकर टीकाकरण तथा इलाज सुनिश्चित किया जाए तथा भविष्य में घुमंतु पशुओं में फैलने वाली बीमारी पर पूर्ण रोक लगाई जा सके। पपरोला में हुए घुमंतू पशुपालकों के अधिवेशन में फैसला लिया गया कि यदि 15 दिनों के भीतर उपरोक्त मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो मजबूरी में प्रदेश के घुमंतू पशुपालक परिवारों को संघर्ष का रास्ता अपनाना पड़ेगा। जिसकी जिम्मेवारी प्रशासन व प्रदेश सरकार की होगी।