राजीव भनोट। ऊना
उत्तर भारत के प्रसिद्ध श्री राधा कृष्ण मंदिर कोटला कलां में वीरवार को संत मिलन का अद्भुत नजारा देखने को मिला। आश्रम में राष्ट्रीय संत बाबा बाल जी के निमंत्रण पर पहली बार उत्तर भारत के प्रसिद्व डेरा बाबा रुद्रानंद के अधिष्ठाता स्वामी 1008 सुग्रीवानंद महाराज विशेष रूप से पहुंचे।
महाराज के साथ उनके परमशिष्य हेमानंद महाराज भी साथ रहे। मंत्रोच्चारण के बीच महाराज का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। बाबा बाल जी महाराज ने स्वयं गेट पर पहुंचकर महाराज का स्वागत किया। मंच पर विराजमान होने के बाद राष्ट्रीय संत बाबा बाल जी महाराज ने 1008 स्वामी सुग्रीवानंद महाराज जी के चरण धोए। इस दृश्य को देखकर जहां हजारों की संख्या में बैठे श्रद्धालुओं की आंखे नम हुई। वहीं जैसे ही सुग्रीवानंद महाराज ने बाबा बाल जी महाराज के सिर पर हाथ रख आशीर्वाद दिया, तो बाबा बाल जी की भी आंखे नम हो गई। इस संत मिलन को देख सब हैरान थे।
वार्षिक धार्मिक समागम में सुग्रीवानंद महाराज ने जहां गीता पर प्रवचन किए, वहीं प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि बाबा बाल जी के आश्रम में आने से दिल को खुशी मिली है। बाबा बाल आश्रम में पहली बार आना हुआ है। उन्होंने कहा कि आना ही था, क्योंकि बहुत सम्मान के साथ मुझे बाबा बाल जी ने आमंत्रित किया और हम कई बार मिले भी हैं। उन्होंने कहा कि धर्म के रास्ते पर अलख जगाते हुए बाबा बाल जी महाराज कृष्ण भक्ति से श्रद्धालुओं को जोडऩे का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज आप सभी के दर्शन कर अपने आप को धन्य मानता हूं।
महाराज ने कहा कि मनुष्य को किसी को बुराई नहीं करनी चाहिए। जब बुराई करते है, तो नाश होता है। उन्होंने कहा कि गीता ज्ञान ब्रहम है और जीव एक सृष्टि है, जिस पर माया आश्रय लेती है। भगवान कृष्ण ने अर्जुन को बोला गीता के संदेश द्वारा संसार का संचालन करता हूं और गीता में मेरा निवास है। गीता एक मात्र पुस्तक नहीं है, बल्कि एक ब्रहमज्ञान का खजाना है, जिसे हर व्यक्ति को रखना व पढऩा चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को रात्रि का एक भाग भगवान को अर्पित करना चाहिए। प्रभु हमे शक्ति देते हैं, जब हम प्रभु से विमुख होते है, तो शक्ति छीन हो जाती है।
राष्ट्रीय संत बाबा बाल जी महाराज ने कहा कि आज 1008 सुग्रीवानंद महाराज जी व उनके परमशिष्य हेमानंद महाराज जी ने एक साथ आकर जो मुझ पर कृपा की है, उसका आनंद मुझे जीवन भर रहेगा और मेरा आग्रह है कि हर वर्ष धार्मिक समागम में आकर अपना आशीर्वाद दें।