- आपके विधायक और उनके दोस्त पौंग किनारे कर रहे खेती
- खेतीबाड़ी न करने को लेकर विस्थापितों को धमका रहे अधिकारी
हिमाचल दस्तक ब्यूरो। धर्मशाला: सीएम साहब! 2 खास विधायकों और विस्थापितों के लिए एक ही प्रदेश में अलग-अलग कानून क्यों लागू हैं। सीएम के एक प्रिय विधायक जहां पौंग किनारे खुद खेतीबाड़ी कर रहे हैं, वहीं एक अन्य विधायक के दोस्तों द्वारा पौंग की भूमि की खेती की जा रही है।
वहीं दूसरी ओर पौंग की भूमि पर खेतीबाड़ी करने से विस्थापितों को रोका जा रहा है और अधिकारियों द्वारा उन्हें धमकाया जा रहा है। पौंग बांध की भूमि का असली मालिक कौन है, सीएम को इसका जवाब देना चाहिए। यह बात पूर्व सांसद डॉ. राजन सुशांत ने बुधवार को धर्मशाला में प्रेसवार्ता में कही। डॉ. राजन सुशांत ने कहा कि विस्थापितों के 10 हजार परिवारों के 50 हजार सदस्य राजस्थान में मुरब्बे न मिलने से पीडि़त हैं। गरीब के खिलाफ और गरीब के हित की जिद को लेकर अब टकराव शुरू हो गया है।
वचन के विपरीत काम कर रहे सीएम
डॉ. राजन सुशांत ने कहा कि सीएम जयराम ठाकुर ने 10 दिसंबर को पौंग बांध विस्थापितों को वचन दिया था कि पौंग झील किनारे परंपरागत तरीके से जो खेती चल रही है, वह चलती रहनी चाहिए और इसका स्थायी समाधान हम शीघ्र ढूंढेंगे। धर्मशाला में बुधवार को प्रेसवार्ता में डॉ. राजन सुशांत ने कहा कि सीएम अपने वचन के विपरीत इन लोगों को खेतीबाड़ी से रोक रहे हैं और इन पर मामले भी बनाए जा रहे हैं और विभाग द्वारा इन्हें डराया-धमकाया भी जा रहा है। सीएम को हम बताना चाहते हैं कि पौंग झील किनारे की भूमि पर ही एक विधायक ने भी खेती की है। यह भूमि किसकी है, वेटलैंड, वाइल्ड लाइफ, बीबीएमबी की। विधायक का कहना है कि मेरे सीएम से मधुर संबंध हैं तथा कुछ लोग मेरे और सीएम के संबंध बिगाडऩा चाहते हैं।
किसी विधायक से व्यक्तिगत विरोध नहीं
डॉ. सुशांत ने कहा कि हमारा किसी विधायक से व्यक्तिगत विरोध नहीं है, लेकिन जिन नियमों के तहत विधायक को खेतीबाड़ी की अनुमति दी जा रही है, उसी के तहत 50 हजार गरीब विस्थापितों को भी अनुमति दी जाए। डॉ. राजन सुशांत ने कहा कि जिला कांगड़ा के 4 विधानसभा क्षेत्रों के पौंग बांध विस्थापित सड़कों पर आने के कगार पर पहुंच गए हैं।
फतेहपुर, जवाली, देहरा और जसवां-परागपुर विधानसभा क्षेत्रों से संबंधित इन विस्थापितों को न तो राजस्थान में नहरी मुरब्बे मिले हैं और न ही इनके पास रोजगार है और न ही जीवनयापन के लिए भूमि है। डॉ. राजन सुशांत ने कहा कि नवंबर-दिसंबर माह जब पौंग बांध का पानी नीचे उतरता है तो उस भूमि पर पौंग बांध विस्थापित निरंतर पीढिय़ों से गेहूं बीज कर साल भर का राशन निकाल लेते हैं। सीएम से हमारी मांग है कि एक सप्ताह का समय गेहूं की बिजाई के लिए बचा है, ऐसे में सीएम एक सप्ताह के भीतर पौंग बांध विस्थापितों को बिजाई की अनुमति प्रदान करें।