- 6500 करोड़ का एचपी शिवा प्रोजेक्ट मंजूर है एडीबी से
- निचले क्षेत्रों में अमरूद, कीवी संतरा, अनार की खेती होगी
हिमाचल दस्तक ब्यूरो। शिमला : किसानों और बागवानों की आय को बढ़ाने के मकसद से एशियन डेवल्पमेंट बैंक से फंडिड एचपी शिवा प्रोजेक्ट में राज्य को 100 करोड़ की पहली किस्त मिल गई है। इस पैसे से पायलट आधार पर कुछ क्लस्टरों पर काम होगा और ये क्लस्टर 10 हेक्टेयर तक के होंगे। यह कुल प्रोजेक्ट करीब 6500 करोड़ का है, जिसे बागवानी और आईपीएच विभाग मिलकर चलाएंगे, जबकि नोडल विभाग बागवानी है।
इसमें 1688 करोड़ का बागवानी प्रोजेक्ट है, जो सब ट्रोपिकल रीजन यानी निचले क्षेत्रों में होने वाले फलों के लिए है और दूसरा 4751 करोड़ का प्रोजेक्ट आईपीएच में था, जिसका मकसद किसानों को सिंचाई का पानी देना था। भारत सरकार के आर्थिक मामलों के विभाग से मंजूरी के बाद जब प्रोजेक्ट फंडिंग के लिए एडीबी में गया तो एडीबी ने इसे क्लब कर दिया, क्योंकि दोनों का मकसद एक ही था।
अब आईपीएच इस प्रोजेक्ट में सिंचाई सुविधा देगा और बागवानी विभाग पौधे और अन्य बागवानी संबंधी काम देखेगा। पायलट प्रोजेक्ट में 10 हेक्टेयर तक के क्लस्टर होंगे और बाद में इन्हें बड़ा या छोटा भी किया जा सकता है। केंद्र से पहली किस्त मिलने के साथ ही अब मेजर प्रोजेेक्ट की डीपीआर बनना शुरू हो गई है।
विभाग ने एचपी शिवा प्रोजेक्ट मंजूर होने के बाद कई बदलाव भी किए हैं, जो एडीबी की सहमति से हुए हैं। इसमें सिंचाई सुविधा के लिए आईपीएच को साथ जोड़ा गया है। इसलिए अब हर क्लस्टर में आईपीएच से अधिशाषी अभियंता डेपुटेशन पर लाए जा रहे हैं। इस प्रोजेक्ट में 4 मुख्य फलों की खेती होगी। इनमें अमरूद, कीवी, संतरा और अनार शामिल हैं। इनकी पौध भी विभाग ही बागवानों को उपलब्ध करवाएगा। प्रोजेक्ट में ही क्लस्टर की फेंसिंग का भी प्रावधान किया गया है।
सेब शामिल नहीं है इस प्रोजेक्ट में
एचपी शिवा प्रोजेक्ट कांगड़ा, बिलासपुर, ऊना, मंडी, सिरमौर और चंबा जिलों के गर्म क्षेत्रों में काम करेगा। इन जिलों में 4 मुख्य फलों की खेती के लिए न केवल पौध बल्कि अन्य प्रकार की मदद भी किसानों को मिलेगी। इस प्रोजेक्ट में सेब शामिल नहीं है। सेब के लिए पूर्व सरकार के दौरान 1461 करोड़ का एक प्रोजेक्ट पहले से ही चल रहा है।
एचपी शिवा प्रोजेक्ट अभी 6500 करोड़ का है। यदि विभाग ने समयबद्ध काम किया तो ये राशि 10 हजार करोड़ तक जा सकती है। हम इस मौके को देखते हुए डीपीआर पर तेजी से काम कर रहे हैं।
-महेंद्र सिंह ठाकुर, आईपीएच एवं बागवानी मंत्री