बोले, आपदा न्यूनीकरण निधि की स्थापना पर किया जाएगा विचार , हिमाचल, लद्दाख, उत्तराखंड और जेएंडके में आपदा जोखिम न्यूनीकरण की चुनौतियां विषय पर कार्यशाला
हिमाचल दस्तक ब्यूरो। शिमला : मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि सुरक्षित और आपदा प्रतिरोधी हिमाचल के निर्माण के लिए सभी सरकारी एजेंसियों और गैर-सरकारी संगठनों के सामूहिक प्रयासों के माध्यम से एक समग, सक्रिय, बहु-आपदा, प्रौद्योगिकी संचालित और समुदाय आधारित रणनीति तैयार कर प्रभावी कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।
यह बात मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर राज्यों के हितधारकों के लिए पहाड़ी शहरों में आपदा जोखिम न्यूनीकरण की चुनौतियां विषय पर आयोजित दो दिवसीय क्षेत्रीय कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए कही। कार्यशाला का आयोजन राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण एसडीएमए के सहयोग से राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और हिमाचल प्रदेश विज्ञान प्रौद्योगिकी और पर्यावरण परिषद कर रही है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य कमल किशोर ने कहा कि एक आपदा कई आपदाओं की शृंखला बन जाती है, इसलिए आपदा जोखिम को कम करने के लिए तुरंत कदम उठाए जाने चाहिए।
राज्य में कनेक्टिविटी और संचार नेटवर्क में सुधार और गैर सरकारी संगठनों को ग्रामीण स्तर पर सामुदायिक आपदा प्रबंधन योजना विकसित करने के लिए आगे आना चाहिए। राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव ओंकार शर्मा, आईआईटी मुंबई के प्रोफेसर और महाराष्ट्र आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य प्रो. रवि कुमार सिन्हा ने अपने विचार रखे। राजस्व-आपदा प्रबंधन के निदेशक एवं विशेष सचिव डीसी राणा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर महापौर कुसुम सदरेट, सचिव शहरी विकास सी पालरासु शिमला, हमीरपुर और मंडी के उपायुक्त, एनजीआरआई हैदराबाद, जीएसआई चंडीगढ, एनआईटी हमीरपुर, आईआईटी मद्रास, बांबे और मंडी, आईएमडी नई दिल्ली आदि संस्थानों के प्रतिनिधि, विज्ञानी और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के प्रमुख वैज्ञानिक कार्यशाला में उपस्थित रहे।
16.130 बढ़इयों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य
जयराम ठाकुर ने कहा कि सुरक्षित घरों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए 16.130 बढ़इयों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर तक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए अस्पताल सुरक्षा योजना के तहत एक योजना बनाई गई है, ताकि किसी भी आपदा की स्थिति में प्रभावी सेवाएं प्रदान की जा सकें। आपदा प्रबंधन के लिए युवाओं को प्रशिक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है। हर ग्राम पंचायत में कम से कम दस से पंद्रह युवाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा और इस प्रकार पहले चरण में 48.390 युवाओं को बचाव कार्य और पीडि़तों को प्राथमिक उपचार देने का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
नक्शे के आवेदन को एक माह में मिलेगी मंजूरी: सरवीण
शहरी विकास, आवास और नगर नियोजन मंत्री सरवीण चौधरी ने पहाड़ी राज्यों में घरों के निर्माण में पारंपरिक तकनीकों को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार नक्शों के अनुसार गृह निर्माण को प्रोत्साहित कर रही है, जिसके लिए आवेदन के एक माह के भीतर मंजूरी प्रदान की जा रही है। उन्होंने जनता से आग्रह किया कि भवनों का निर्माण नियमानुसार करें, ताकि प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।
भवनों को मजबूत बनाने की जरूरत: डॉ. बाल्दी
मुख्य सचिव डॉ. श्रीकांत बाल्दी ने कहा कि सचिवालय, उपायुक्त कार्यालयों, दमकल केंद्रों, पुलिस थानों, दूरसंचार नेटवर्क, महत्वपूर्ण पुलों और पानी के टैंकों आदि जैसे जीवन रेखा भवनों को मजबूत बनाने की जरूरत है। न्होंने सड़क और अन्य बुनियादी ढांचों के निर्माण के कारण निकलने वाले मलबे के वैज्ञानिक प्रबंधन पर भी बल दिया।