- कंपनी एमओयू साइन करने से कर रही परहेज
- स्वास्थ्य निदेशालय भी गंभीरता से नहीं ले रहा
- 40 करोड़ सालाना दिया जाएगा कंपनी को
खेमराज शर्मा :शिमला
हिमाचल में एसआरएल की जगह लेने वाली कर्सना डायग्नोस का मामला लटक गया है। स्वास्थ्य निदेशालय के पास यह फाइल लटकी हुई है। कुछ टेक्निकल बातों की वजह से मामला लटका हुआ है। ऐसे में जिस कंपनी ने यहां पर 1 सप्ताह पहले ही सेवाएं देना शुरू करनी थीं वह अब एमओयू साइन करने से परहेज कर रही है। विभाग की ओर से कंपनी पर शर्त रखी गई है कि एमओयू साइन होने के दो महीने के भीतर अपना सेटअप स्थापित करना होगा, लेकिन कंपनी का कहना है कि जब विभाग उन्हें साइट उपलब्ध नहीं करवा देता तब तक यह समय लागू नहीं होना चाहिए। साइट उपलब्ध करवाने के बाद ही दो महीने के समय की शर्त रखी जाए। ऐसे में अब यह मामला लटका हुआ है। फाइल भी स्वास्थ्य निदेशालय शिमला के पास पड़ी है।
गौरतलब है कि नई कंपनी के आने से हिमाचल के लोगों को सस्ते दामों पर यह टेस्ट सुविधा मुहैया करवाई जाएगी। पीएचसी लेवल तक यह टेस्ट सुविधा दी जाएगी। केंद्र सरकार कंपनी को सालाना 40 करोड़ रुपये देगी। एनएचएम की ओर से यह पैसा कंपनी को दिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि इससे पहले अभी हिमाचल में एसआरएल लैब सरकारी अस्पतालों में लोगों को सस्ते दरों पर टेस्ट सुविधा मुहैया करवा रही है। यह लैब केवल मेडिकल कॉलेजों और जिला अस्पतालों में ही हैं। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को टेस्ट करवाने के लिए कई किमी दूर आना पड़ता है।