नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस को निर्देश दिया कि वह बुधवार को शाम पांच बजे तक विधानसभा में अपना बहुमत साबित करें। न्यायालय ने कहा कि बहुमत परीक्षण में विलंब होने से खरीद फरोख्त की आशंका है।
न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की तीन सदस्ईय खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि विधान सभा चुनाव के नतीजों की घोषणा हुए एक महीना हो गया लेकिन अभी तक अनिश्चितता बनी है। पीठ ने कहा कि ऐसी स्थिति में खरीद फरोख्त जैसी गैरकानूनी गतिविधयों पर अंकुश लगाने और अनिश्चितता खत्म करके स्थिर सरकार सुनिश्चित करने के लिए लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करना न्यायालय के लिए जरूरी हो गया है।
सदन में तत्काल शक्ति परीक्षण ही इसका सबसे प्रभावशाली तरीका है। शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से कहा कि वह अस्थाई अध्यक्ष नियुक्त करें और यह सुनिश्चित करें कि सारे निर्वाचित सदस्य बुधवार को शाम पांच तक शपथ ग्रहण कर लें ताकि सदन में शक्ति परीक्षण हो सके। न्यायालय ने निर्देश दिया कि शक्ति परीक्षण के लिए गुप्त मतदान नहीं होगा और सदन की सारी प्रक्रिया का सीधा प्रसारण होगा। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि अस्थाई अध्यक्ष की नियुक्ति सिर्फ इसी कार्य के लिए तत्काल की जाएगी।
पीठ ने कहा, ऐसी स्थिति में जहां, अगर सदन में शक्ति परीक्षण में विलंब हुआ, खरीद फरोख्त की आशंका है, न्यायालय के लिए लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए इसमें हस्तक्षेप करना अनिवार्य हो जाता है। ऐसी स्थिति में तत्काल शक्ति परीक्षण ही संभवत: सबसे प्रभावी तरीका होगा। पीठ ने कहा, इस मामले में, चुनाव के नतीजों की घोषणा के एक महीना बीत जाने के बाद भी निर्वाचित सदस्यों को अभी तक शपथ नहीं दिलाई गई है।
इस तरह के अप्रत्याशित तथ्यों और परिस्थितियों में खरीद फरोख्त जैसे गैरकानूनी तरीके की गुंजाइश खत्म करने और लोकतांत्रिक तरीके से स्थिर सरकार सुनिश्चित करने के लिए हमारी सुविचारित राय है कि इस संबंध में कतिपय अंतरिम निर्देश दिए जाएं। पीठ ने 19 पन्ने के अपने आदेश में कहा, इस संदर्भ में, यह निर्धारित करने के लिए कि क्या मुख्यमंत्री, जिन्हें पद की शपथ दिलाई गई है, के पास बहुमत है या नहीं, सदन में यथाशीघ्र शक्ति परीक्षण आवश्यक है।
न्यायालय ने कहा कि चूंकि विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों को संविधान की अनुसूची ढ्ढढ्ढढ्ढ में विनिर्दिष्ट प्रक्रिया के अनुसार अभी शपथ ग्रहण करनी है और अध्यक्ष का भी अभी चुनाव होना है, हम महाराष्ट्र के राज्यपाल से अनुरोध करते हैं कि 27 नवंबर, 2019 को सदन में शक्ति परीक्षण सुनिश्चित किया जाए।
पीठ ने कहा कि अस्थाई अध्यक्ष की तत्काल नियुक्ति सिर्फ इसी कार्य के लिए की जाएगी। सभी निर्वाचित सदस्य 27 नवंबर को शपथ ग्रहण करेंगे। यह कवायद शाम पांच बजे से पहले पूरी हो जानी चाहिए। इसके तुरंत बाद अस्थाई अध्यक्ष यह पता लगाने के लिए शक्ति परीक्षण कराएंगे कि क्या फडणवीस के पास बहुमत है और यह कार्यवाही कानून के प्रावधानों के अनुसार संचालित होगी।
न्यायालय ने कहा कि शक्ति परीक्षण गुप्त मतदान से नहीं होगा। सदन की कार्यवाही का सीधा प्रसारण होगा और यह सुनिश्चित किया जाए कि इसके लिए उचित बंदोबस्त हों। न्यायालय ने कहा कि पक्षकारों ने न्यायिक समीक्षा और राज्यपाल की संतुष्टि की वैधता जैसे महत्वपूर्ण संवैधानिकत सवाल उठाए हैं लेकिन इनका निर्णय उचित समय पर किया जाएगा।
शीर्ष अदालत ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि इन सवालों का जवाब देना होगा क्योंकि याचिकाकर्ताओं ने राष्ट्र की लोकतांत्रिक सीमाओं को छूने वाले महत्वपूण्र सांविधानिक मुद्दे उठाए हैं। पीठ ने कहा कि इस अंतरिम चरण में हमारे लिए एक दूसरे दलों के परस्पर विरोधी दावों, लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक को नैतिकता की रक्षा के बिन्दुओं को ध्यान में रखने की आवश्यकता है। पीठ ने कहा कि राजनीतिक परिदृश्य के भीतर अलोकतांत्रिक और गैरकानूनी तरीकों को कम किया जाना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने इस मामले में संक्षिप्त कार्यवाही यह कहते हुए खत्म की कि फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने के राज्यपाल के फैसले के खिलाफ शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन की मुख्य याचिका पर आठ सप्ताह में जवाब दाखिल किए जाएंगे। पीठ ने इसके साथ ही इस मामले को 12 सप्ताह बाद के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
महाराष्ट्र में करीब एक पखवाड़े पूर्व लगाया गया राष्ट्रपति शासन शनिवार को भोर में 5.47 बजे खत्म होने के बाद फडणवीस के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने प्रदेश की कमान संभाल ली थी। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन खत्म होने के बाद भाजपा के देवेन्द्र फडणवीस और राकांपा के अजित पवार को मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई थी। महाराष्ट्र की 288 सदस्ईय विधानसभा में सबसे बड़े दल के रूप में भाजपा के 105 विधायक हैं जबकि शिवसेना के 56, राकांपा के 54 और कांग्रेस के 44 विधायक हैं।
इस गठबंधन ने शनिवार की रात में ही राज्यपाल के फैसले को निरस्त करने का अनुरोध करते हुए शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी और खरीद फरोख्त से बचने के लिए तत्काल सदन में शक्ति परीक्षण कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया था। इस गठबंधन ने राज्यपाल को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया है कि वह शिवसेना के नेता उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में उन्हें सरकार गठित करने के लिए आमंत्रित करें। गठबंधन का दावा है कि उसे 144 से अधिक विधायकों का समर्थन प्राप्त है।