शिमला :
राज्य के दो बड़े ट्रांसपोर्ट बैरियर हाईटेक होने जा रहे हैं। परिवहन विभाग ने उत्तराखंड से सटे पांवटा बैरियर और हरियाणा सीमा से लगे कालाअंब बैरियर में वेइंग इन मोशन ब्रिज स्थापित करने के लिए टेंडर कर दिए हैं। इस टेंडर को तकनीकी खामियां सुधारने के लिए अब रि-टेंडर किया जा रहा है।
इस प्रोजेक्ट के तहत इन दोनों बैरियरों पर दोनों ओर के लिए दो दो यानी कुल चार ब्रिज बनेंगे। ये ब्रिज हर ट्रांसपोर्ट व्हीकल का वजन करेंगे और यदि वाहन ओवरलोड हुआ तो चालान भी ऑनलाइन कटेगा। यानी इसमें किसी व्यक्ति विशेष का कोई रोल नहीं होगा। इसके साथ ही यह गिनती भी खुद हो जाएगी कि इस बैरियर से कितने वाहन गुजरे और इनमें से कितनों ने कंपोजिट फीस नहीं चुकाई है। यह काम रोड सेफ्टी फंड से किया जा रहा है।
राज्य में हो रहे सड़क हादसों में ओवरलोडिंग भी एक कारण है। वेेइंग इन मोशन यानी विम ब्रिज लगाने का लाभ यह है कि इसके लिए वाहनों को चेकिंग के लिए रोका नहीं जाएगा। वाहन खुद गुजर जाएगा और उसका एनालिसिस खुद हो जाएगा। यदि ओवरलोड हुआ तो इसमें लगे कैमरों की मदद से व्हीकल नंबर के आधार चालान खुद चला जाएगा। चालान चूंकि ऑटोमेटिक होगा, इसलिए न तो इससे बचने का रास्ता होगा और न ही इसकी राशि कम की जा सकेगी।
फुली ऑटोमेटिड ब्रिज के लगने से वाहनों की निगरानी भी ज्यादा अच्छी तरह से हो सकेगी। इसमें बूम बैरियर और आरआईएफडी कैमरा आदि पहले से लगा होगा। परिवहन विभाग के पास इन बैरियरों के अलावा मैहतपुर, डमटाल, कंडवाल, गगरेट, तुनुहट्टी और स्वारघाट आदि में भी बैरियर हैं, लेकिन शुरुआत पांवटा और कालाअंब से की जा रही है। परिवहन आयुक्त कैप्टन जेएम पठानिया का कहना है कि ओवरलोडिंग को दूर करने के लिए इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया था। इसी हफ्ते इस बारे में दोबारा से टेंडर हो रहे हैं।
मोबाइल व्हीकल टेस्टिंग स्टेशन भी जल्द
परिवहन विभाग राज्य का पहला मोबाइल एटीएस यानी ऑटोमेटिक टेस्टिंग स्टेशन बनाने जा रहा है। इससे मोबाइल स्टेशन को कहीं भी ले जाकर गाडिय़ों की टेस्टिंग हो सकेगी। इस टेस्टिंग को भी ऑटोमेटिक रखा गया है, ताकि इसमें किसी व्यक्ति का डाटा बदलने में कोई रोल न हो। इसके लिए टेंडर डॉक्यूमेंट तैयार हो गया है और इसे जल्द ही सार्वजनिक किया जा रहा है। सुप्रीमकोर्ट के निर्देश पर बनी रोड सेफ्टी काउंसिल ने भी सड़क सुरक्षा उपायों के तहत ये काम करने को कहा था।