हिमाचल दस्तक ब्यूरो। शिमला
जयराम सरकार द्वारा इमरजैंसी की यादें ताजा करने के लिए घोषित की गई लोकतंत्र प्रहरी सम्मान योजना के लिए एक विधेयक वीरवार को सदन में रखा गया। इसका मकसद इस योजना को लीगल रूप देना है। ताकि यदि कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद इसे खत्म करने के लिए विधानसभा में ही विधेयक लाना पड़े। भाजपा शासित कई राज्यों में ये स्कीम पहले ही शुरू की जा चुकी है।
इससे पहले पिछले साल के बजट में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने ये स्कीम घोषित की थी, जिसमें इमरजैंसी के दौरान जेल में रहे लोगों को सम्मान राशि मिलती है। सालाना 2.63 करोड़ इस पर सरकार खर्च कर रही है। लेकिन ये राशि अभी एक एग्जिक्यूटिव आर्डर से दी जा रही है। अब इस बारे में बाकायदा कानून बनाया जा रहा है।
इस योजना के अनुसार इमरजैंसी की अवधि यानी 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक जेल झेलने वाले लोगों को ये सम्मान राशि मिलेगी। जेल में रहा व्यक्ति खुद और पत्नी पूरी सम्मान राशि के हकदार होंगे। इसके लिए जेल सुपरिटेंडेंट या थाने से कोई दस्तावेज लाना होगा या फिर कोई गवाह पेश करना होगा। आवेदन संबंधित विभाग के प्रशासनिक सचिव को करना होगा। इन आवेदनों को एक कमेटी स्क्रीन करेगी। यदि झूठी सूचना दी या व्यक्ति को किसी क्रिमिनल केस में सजा हो गई तो ये सम्मान राशि मिलना बंद हो जाएगी। इस विधेयक को अभी सदन में रखा गया है। सत्र के अंतिम दो दिनों में इसे पारित किया जाएगा।