ललित ठाकुर। पधर:
द्रंग ब्लॉक जोगिंद्रनगर मसौली गांव की रहने वाली इंदिरा राणा प्राकृतिक खेती करके गांव में एक मिशाल कायम कर रही हैं। उन्होंने पहली बार प्राकृतिक खेती से अपने खेतों में गेहूं, धनिया, मेथी की फ सल उगाई है। इंदु राणा का कहना है कि पहली बार जब उन्होंने प्राकृतिक खेती की तो उन्हें बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
खेतों में रासायनिक खाद का प्रयोग न करना घास खत्म करने के लिए किसी किस्म की दवाई का प्रयोग न करना घर वालों के लिए ये सब हैरत करने वाला विषय था। यहां तक कि खेतों में गोबर की खाद भी नहीं डाली। इंदु राणा ने बताया कि प्राकृतिक खेती करने का घर वाले भी विरोध करते रहे, लेकिन उसके बावजूद भी इस खेती को करने का मन नहीं छोड़ा, क्योंकि पालमपुर में पद्मश्री सुभाष पालेकर द्वारा लगाई गई प्राकृतिक खेती की कार्यशाला में इन्होंने भाग लिया था। इंदु राणा का मास्टर ट्रेनर बनने के बाद गांवों की महिलाओं को भी जागरूक किया गया।
उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती करने के बाद उन्होंने अपने खेत के एक बीघे में एक क्विंटल 20 किलो गेहूं पैदा की। साथ ही मेथी और धनिया भी अपेक्षा से अधिक हुआ। उन्होंने बताया कि इस खेती में जीवामृत, घनजीवामृत और खट्टी छाछ के मिश्रण का ही प्रयोग किया था। उन्होंने बताया कि दूसरी बार धान की फ सल भी बहुत अच्छी हुई। इस बार खेतों में गेहूं की बंसी किस्म लगाई है एक पौधे में 10 से 15 कलियां निकली हैं। नाइट्रोजन के लिए चने और मटर भी उगाए हैं। इंदु राणा ने बताया कि कुछ दिन पहले आत्मा प्रोजेक्ट द्रंग के तत्त्वावधान से हमें राज्यपाल आचार्य देवव्रत के 180 एकड़ फॉर्म को दिखाने के लिए ले गए थे। वो पद्मश्री शुभाष पालेकर का ड्रीम मॉडल है, जिनके बारे में उन्होंने हमें पालमपुर में जानकारी दी थी।