नई दिल्ली (भाषा) : जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति ने सिफारिश की है कि आवश्यक सेवा शुल्क में कटौती का लाभ विश्वविद्यालय के सभी छात्रों को मिलना चाहिए। अब तक यह लाभ गरीबी रेखा के नीचे आने वाले छात्रों को ही दिया जाता है।जेएनयू की ओर से जारी आधिकारिक वक्तव्य में कहा गया कि समिति ने विश्वविद्यालय प्रशासन को अपनी रिपोर्ट सोमवार को दी।
जेएनयू शिक्षक संघ (जेएनयूटीए) और छात्र संघ (जेएनयूएसयू) ने समिति गठन की निंदा की थी। वक्तव्य में कहा गया कि समिति की सिफारिशों को कार्यकारी परिषद (ईसी) के सदस्यों को वितरित किया गया था और परिषद ने इन्हें मंजूरी दी है। हालांकि ईसी के तीन सदस्यों ने कहा कि समिति की सिफारिशों के बारे में उनसे कोई सलाह-मश्विरा नहीं किया गया है। समिति ने छात्रावासों के अनुमानित आवश्यक सेवा शुल्क को जांचा-परखा जो 2,000 रुपए प्रतिमाह है। इसमें 300 रुपए का बिजली और पानी शुल्क शामिल है।
समिति ने अनुशंसा की कि इस शुल्क में कटौती कर सभी छात्रों के लिए इसे।,000 रुपए प्रतिमाह करना चाहिए। इसके अलावा बीपीएल छात्रों के लिए इस शुल्क में 75 फीसदी कटौती करने और 2,000 रुपए के स्थान पर 500 रुपए लेने की सिफारिश भी समिति ने की है।
सिफारिश में कहा गया कि बीपीएल श्रेणी में आने वाले छात्रों के लिए आवश्यक सेवा शुल्क में 75 फीसदी कटौती और बाकी के अन्य छात्रों के लिए इस शुल्क में 50 फीसदी की कटौती करने का छात्र बिरादरी और बाकी के पक्षकारों के बीच अच्छा संदेश जाएगा।
मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से गठित उच्च स्तरीय समिति भी अपनी रिपोर्ट जल्द जमा करवाएगी। छात्रावास फीस में वृद्धि के खिलाफ छात्र आंदोलन कर रहे हैं। उच्च स्तरीय समिति ने यह अनुशंसा की है कि कार्यकारी परिषद ने 13 नवंबर को हुई बैठक में जिस संशोधित होस्टल नियमावली को मंजूरी दी है उसे जनवरी 2020 से लागू किया जाए। वक्तव्य में कहा गया कि समिति ने छात्र प्रतिनिधियों की राय को भी इसमें शामिल किया जो उन्होंने डीन ऑफ स्टुडेंट्स कार्यालय को ईमेल के जरिए भेजी थी।
हालांकि ईसी के निर्वाचित प्रतिनिधियों सच्चिदानंद सिन्हा, मौसमी बसु और बाविस्कर शरद प्रहलाद ने कहा, कार्यकारी परिषद के निर्वाचित प्रतिनिधि के तौर पर हम यह बताना चाहते हैं कि उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों की मंजूरी के लिए हममें से किसी से भी ईमेल या फोन या किसी भी तरह से संपर्क नहीं किया गया। हालांकि रजिस्ट्रार द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में ऐसा दावा किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह दावा गलत है कि ईसी के सदस्यों ने समिति की सिफारिशों को मंजूरी दी है।