प्रशांत ठाकुर : डाडासीबा
जिला कांगड़ा के विकास खंड परागपुर के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत लग में बुधवार को ग्रामसभा की बैठक का आयोजन प्रधान देवराज की अध्यक्षता में किया गया। बैठक में बीपीएल सूची की समीक्षा शुरू की गई। जानकारी के अनुसार पंचायत के ही एक वार्ड पंच ने अपना नाम बीपीएल सूची में दर्ज करने को लेकर हो हल्ला किया जिस पर पंचायत सचिव द्वारा कहा गया कि ग्राम पंचायत पदाधिकारियों के नाम बीपीएल सूची में शामिल नहीं किए जा सकते। इस पर पूर्व उपप्रधान और वार्ड पंच के बीच तीखी बहस हो गई। बवाल के बाद कुछ लोगों का कहना था कि बीपीएल सूची से सभी लोगों के नाम काटे जाएं।
स्थानीय पंचायत निवासी राकेश कुमार, अलबेल सिंह, विमला देवी, शंकर सिंह, राजकुमार, सुशील कुमार, प्रदीप कुमार, संजीव शर्मा, अनुज शर्मा तथा शौंकी राम ने बताया कि बीपीएल सूची से ग्राम पंचायत द्वारा गरीब, असहाय, विधवाओं तथा अनाथ परिवारों के नाम काट दिए गए। यह सारी कार्रवाई एक-दो परिवारों को शामिल न करने पर अमल में लाई गई। पंचायत द्वारा बैठक में अंत्योदय सूची से 18, जबकि बीपीएल से संबंधित 34 परिवारों के नाम सूची से हटाने का प्रस्ताव पारित कर दिया गया और पंचायत को बीपीएल मुक्त घोषित कर दिया गया। पंचायत क्षेत्र में जिन बीपीएल परिवारों के नाम सूची से हटाए गए हैं।
उन्होंने इस बाबत पंचायत के निर्णय को अनुचित ठहराते हुए प्रशासन से इस प्रस्ताव को रद्द करने की मांग की है। सूची से हटाए गए परिवारों का कहना है कि वे इस संदर्भ में एसडीएम देहरा से शिकायत करेंगे। यहां बता दें कि अंत्योदय तथा बीपीएल सूची में उन परिवारों के नाम दर्ज किए जाते हैं जिनकी हालत अति दयनीय होती है। इससे ऊपर वाले परिवारों को पीडीएस तथा एनएफएसए के तहत सस्ता राशन मिलता है, लेकिन सस्ते राशन से किसी का नाम भी नहीं काटा गया तथा जो अति निर्धन परिवार थे। उन्हें सस्ते राशन की सूची में भी शामिल नहीं किया गया।
क्षेत्र के युवाओं ने ग्रामसभा की कार्रवाई की वीडियोग्राफी भी की। इस पूरी कार्रवाई को लेकर ग्राम पंचायत लग के उपप्रधान सुरेश कुमार ने विरोध जताया है। उनका कहना है कि कई बीपीएल परिवारों ने मल्टी टास्क वर्कर की भर्ती के लिए आवेदन किया था तथा उन्हें हाल ही में पंचायत द्वारा बीपीएल के प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं।
पंचायत क्षेत्र में अति निर्धन परिवार मौजूद हैं जो कि अंत्योदय और बीपीएल सूची में दर्ज थे। कुछ प्रभावशाली लोगों के दबाव में आकर निर्धन परिवारों के नाम काटना उन्होंने अनुचित बताया है। बीपीएल प्रमाण पत्र जारी करने के उपरांत 1 सप्ताह के भीतर इस तरह की कार्रवाई कानूनन सही नहीं है। बीपीएल सूची में केवल वही परिवार शामिल हैं जिन्हें वर्ष 2018 के सर्वे में अति गरीब पाया गया था।
बीपीएल सूची में कई लोग 20-25 वर्षों से दर्ज हैं। ग्रामसभा सदस्यों का कहना था कि जिन परिवारों को बीपीएल का लाभ मिल चुका है, उन्हें सूची से हटाया जाए, लेकिन इस पर सहमति नहीं बनी जिस कारण लोगों की ज्यादातर राय यही थी कि ग्राम पंचायत को बीपीएल मुक्त किया जाए।
-देवराज, प्रधान, लग पंचायत।ग्रामसभा में उपस्थित सदस्य पंचायत को बीपीएल मुक्त घोषित करने की मांग कर रहे थे तथा सभी ने बीपीएल मुक्त प्रस्ताव का समर्थन किया। बीपीएल सूची से 52 परिवारों को हटाकर लग पंचायत को बीपीएल मुक्त घोषित करने का प्रस्ताव पारित कर दिया गया है।
-विपिन शर्मा, सचिव, लग पंचायत।
शिकायत आई तो करेंगे जांच
इस बाबत जब खंड विकास अधिकारी कंवर सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यदि काटे गए परिवारों की शिकायत विभाग के पास आई तो आवश्यक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। मल्टी टास्क वर्कर के लिए जारी हुए बीपीएल प्रमाण पत्रों पर उन्होंने कहा कि वे प्रमाण पत्र मान्य होंगे, क्योंकि यह फैसला बाद का है। यदि नियमों के अनुसार कार्रवाई नहीं की गई होगी तो ग्रामसभा के प्रस्ताव को रद भी किया जा सकता है।