- पैसेंजर के साथ-साथ निजी वाहनों में भी दिलचस्पी दिखा रहे लोग
- अभी तक परिवहन विभाग के पास 638 इलेक्ट्रिक वाहन पंजीकृत
- मोटरसाइकिल, ई-रिक्शा व बसों की संख्या अधिक
टेकचंद वर्मा : शिमला
आसमान छूती पेट्रोल व डीजल की कीमतों के बीच लोगों का रुझान अब इलेक्ट्रिक व्हीकल की ओर बढऩे लगा है। इसका अंदाजा इससे बखूबी लगाया जा सकता है कि पहाड़ी प्रदेश में साढ़े तीन माह की अवधि के दौरान ही परिवहन विभाग के पास करीब 2४5 इलेक्ट्रिक वाहन पंजीकृत हुए हैं।
पंजीकृत वाहनों की कैटागरी को देखें तो इसमें कमर्शियल वाहनों के साथ रोजमर्रा प्रयोग होने वाले वाहन भी शामिल हैं। पेट्रोल व डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के बाद नवंबर, 2021 से मार्च तक कीमतें स्थिर रहीं। मगर इसके बाद लगातार दामों में आए दिन बढ़ोतरी रिकॉर्ड की जा रही है। कीमतों में बढ़ोतरी आने से जनता का रुझान इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर बढ़ता रहा है। मौजूदा वर्ष की बात की जाए तो परिवहन विभाग के पास जनवरी माह से अभी तक 245 वाहन पंजीकृत हो चुके हैं।
परिवहन विभाग के पास उक्त अवधि के दौरान जो इलेक्ट्रिक वाहन पंजीकृत हुए हैं। इनमें मोटरसाइकिल व स्कूटर की संख्या ज्यादा है। इस दौरान 215 मोटरसाइकिल व स्कूटर पंजीकृत हुए हैं। इसके अलावा चार ई-रिक्शा, तीन ई-रिक्शा विद कार्ट, एक पैसेंजर थ्री व्हीलर, आठ मोटरसाइकिल-स्कूटर विद साइड कार व 14 मोटर कार विभाग के पास पंजीकृत हुए हैं।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में साल 2016 से 2021 तक केवल 638 इलेक्ट्रिक वाहन ही पंजीकृत थे। मगर राज्य में अब जनता का इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति क्रेज बढ़ता जा रहा है। जो पर्यायवरण संरक्षण को लेकर मील का पत्थर साबित हो सकता है। इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढऩे से जहां प्रदेश में प्रदूषण कम होगा। वहीं लोगों को आरामदायक सफर की भी सुविधा मिलेगी।
विभाग के पास 52 बसें पंजीकृत
परिवहन विभाग के पास 52 बसें पंजीकृत हंै। इसके अलावा 158 ई-रिक्शा, 41 मैक्सी कैप, 30 ओमनी बस, 329 मोटरसाइकिल स्कूटर, 18 मोटर कार और एक-एक प्राइवेट सर्विस व्हीकल व थ्री व्हीलर भी पंजीकृत है।
पर्यावरण मित्र हैं इलेक्ट्रिक वाहन
पहाड़ी प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों को शुरू करने का निर्णय भी पर्यावरण संरक्षण के मद्देनजर ही लिया था। प्रदेश की राजधानी शिमला सहित अन्य स्थलों पर भी इलेक्ट्रिक बसों का संचालन किया जा रहा है। मगर अब धीरे-धीरे लोग अन्य इलेक्ट्रिक वाहनों की भी खरीद करने लगे हैं। जो पर्यावरण सरंक्षण को लेकर मील का पत्थर साबित होगा।