अशोक ठाकुर। इंदौरा
कुछ दिन पहले नूरपुर में जाली दस्तावेज देकर गाड़ियों की रजिस्ट्रेशन करवाने का मामला ठंडा हुआ भी नहीं था कि इंदौरा के आरएलए-कम-एसडीएम कार्यालय में एक बड़ा फर्जीबाड़ा सामने आया है। नूरपुर व इंदौरा के दलाल जो कि मोटी रकम लेकर आरसी व लाइसेंस बनाने का काम करते हैं, उनके द्वारा जाली कागजात पेश करके गाड़ियों की रजिस्ट्रेशन करवा दी गई है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार टैक्स बचाने के चक्कर में और भारत स्टेज-4 गाड़ियां जो कि न्यायालय द्वारा अप्रैल 1/2020 को बंद कर दी गई थीं, की रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए लोगों द्वारा जाली कागजात देकर रजिस्ट्रेशन कर दी गई। इनमें ज्यादातर रजिस्ट्रेशन अप्रैल 1/2020 से लेकर सितंबर, 2020 के बीच की गई है।
जांच में पाया गया कि ज्यादातर लोगों द्वारा जाली आधार कार्ड पेश किए गए, क्योंकि बाकी राज्यों की अपेक्षा हिमाचल में रजिस्ट्रेशन फीस काफी कम है वहीं कागजात में गाड़ियों की कीमत कम दिखाई गई है, ताकि रोड टैक्स कम लगे। कुछ लोगों द्वारा यह भी दर्शाया गया है कि हम सैनिक हैं, जिससे गाड़ियों पर लगने वाला रोड टैक्स कहीं ज्यादा कम हो जाता है।
ज्ञात रहे कि इंदौरा आरएलए कम एसडीएम कार्यालय जाली लाइसेंस बनाने में पहले भी सुर्खियों में रहा है व दलालों की डील करने की वीडियो भी काफी वायरल हुई थी। अतः यह कार्य कार्यलय के कर्मचारियों की मिलीभगत के बिना नहीं हो सकता। यहां कुछ ऐसी गाड़ियों की भी रजिस्ट्रेशन हुई है, जिनकी कीमत करोड़ों रुपये है। अतः यहीं से अंदाजा लगाया जा सकता है कि एक तरफ जहां सरकार को करोड़ों का चूना लगा है वहीँ कार्यालय के कर्मचारियों द्वारा मोटी कमाई की गई है।
क्या कहते हैं एसडीएम इंदौरा सोमिल गौतम
एसडीएम इंदौरा सोमिल गौतम ने बताया कि हमें उच्चाधिकारियों द्वारा नई तकनीक के सॉफ्टवेयर से जानकारी प्राप्त हुई थी कि कुछ गाड़ियां ऐसी हैं, जिनकी जाली कागजात पेश करके रजिस्ट्रेशन हुई है। उन्हें 7 दिन की मोहलत दी गई है।
अगर उनके द्वारा सही कागजात दिए गए हैं तो ठीक है अन्यथा उनकी आरसी को रद किया जाएगा व धारा 55 के तहत उन पर एफआईआर दर्ज की जाएगी जिसकी सूची तैयार करके थाना इंदौरा में भेजी जा रही है, वहीँ तत्काल प्रभाव से कार्यालय के लेखाधिकारी को बदल दिया गया है व उसकी जगह नए लेखा अधिकारी की नियुक्ति की गई है।