शिमला:सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग में रेगुलर भर्ती के लिए वित्त विभाग ने लंबी माथापच्ची के बाद मंजूरी दे दी है। इससे पहले ये भर्ती आउटसोर्स आधार पर ही हुई थी। विभाग ने सरकार से आउटसोर्स के बजाय अनुबंध पर भर्ती करने का मामला उठाया था। ये प्रस्ताव पिछले महीने कैबिनेट की बैठक में रखा गया था।
तब ये तय हुआ था कि पहले वित्त विभाग की कंकरेंस ली जाए। इसके बाद वित्त विभाग में ये मामला भेजा गया था। वित्त विभाग ने कुछ संशोधनों के साथ करीब 1500 पदों को भरने की मंजूरी दे दी है। इनमें फीटर, पंप आपरेटर जैसे फील्ड के पद हैं। अब ये मामला कैबिनेट की आगामी बैठक में रखा जा रहा है। वहां से मंजूरी मिलने के बाद भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी। वर्तमान में आईपीएच में हजारों पद कर्मचारियों के खाली हैं। यही कारण है कि पूर्व कांग्रेस सरकार में भी कई पेयजल योजनाएं आउटसोर्स करनी पड़ी थी।
वर्तमान सरकार ने भी पहले साल में स्कीमें आउटसोर्स करने के बाद आउटसोर्स से कर्मचारी लिये। लेकिन अब रेगुलर भर्ती का फैसला हो रहा है। इसमें चयनित कर्मचारियों को अनुबंध आधार पर शुरू में नौकरी दी जाएगी। राज्य में जल जीवन मिशन शुरू होने के बाद वैसे भी ज्यादा कर्मचारियों की जरूरत है। इसी आधार पर विभाग ने मुख्यमंत्री के समक्ष रेगुलर भर्ती का मसला उठाया था।
भर्ती एजेंसी पर कैबिनेट ही लेगी फैसला आईपीएच में होने
वाली नई भर्ती को कौन करेगा, इस बारे में कैबिनेट में ही फैसला होगा। सामान्य प्रक्रिया के अनुसार ये भर्ती कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर के कार्यक्षेत्र की है। विभाग में एक मत ये भी है कि यदि आयोग को भर्ती दी तो इसमें समय बहुत लगेगा और जल जीवन मिशन की डेडलाइन मैच नहीं होगी। जबकि दूसरा तर्क ये है कि यदि चयन आयोग से ये भर्ती न करवाकर विभाग को सीधे दी तो कोई विवाद होने का खतरा है। सरकार पहले ही पुलिस भर्ती, पटवारी भर्ती आदि में फजीहत करवा चुकी है।