तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा के निजी चिकित्सक रह चुके थे डा. यशी
हिमाचल दस्तक ब्यूरो। धर्मशाला : इंसान के जीवन में बीमारी का नाम आने पर इंसान चिंताग्रस्त हो जाता है। ऐसे में यदि बीमारी कैंसर हो तो चिंता और बढऩा लाजमी है। कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के इलाज में महारत हासिल किए पदमश्री डा. यशी डोडेन का मंगलवार सुबह मैक्लोडगंज में निधन हो गया।
डा. यशी डोडेन मैक्लोडगंज में रहते थे और वह तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के भी निजी चिकित्सक भी रह चुके हैं। 93 वर्षीय डा. यशी डोडेन पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। भारत सरकार ने उनकी सेवाओं के लिए उन्हें पदमश्री अवार्ड से नवाजा था। डा. यशी डोडेन का जन्म 15 मई 1927 को तिब्बत के लहोका में हुआ था।
उनका परिवार नोगोक लोटसा और नोगो चोकेकु दोरजी के प्रसिद्ध चिकित्सा वंश से आता है। वह बहुत प्रतिभाशाली थे। उन्होंने बीस साल की उम्र में डॉक्टरी की पढ़ाई कर ली थी। वर्ष 1960 में उन्होंने तिब्बती मेडिकल कॉलेज की स्थापना की, जिसके वह 1979 तक निदेशक और प्रिंसिपल रहे। डा. यशी डोडेन 1960 से 1980 तक बीस साल तक तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा के निजी चिकित्सक भी रहे।
हर्बल दवाओं से तिब्बती पद्धति से करते थे कैंसर का इलाज
डा. यशी डोडेन हर्बल दवाओं और तिब्बती पद्धति से कैंसर पीडि़तों का इलाज करते थे। मैक्लोडगंज स्थित उनके क्लीनिक में देश-विदेश के लोग इलाज के लिए आते थे। वर्ष 2018 में उन्हें हर्बल दवाओं और आहार के माध्यम से हजारों रोगियों के उपचार में योगदान के लिए भारत सरकार की ओर से पदमश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसी वर्ष अप्रैल माह में उन्होंने रिटायरमेंट ले ली थी।