हरीश चौहान। गोहर
मंडी जनपद के आराध्य देव कमरुनाग का ऐतिहासिक सरानाहुली मेला काहुली कल्या की रस्म के साथ संपन्न हो गया। देवता कारदारों ने प्रशासन की मौजूदगी में देवता की झील में सोने-चांदी के आभूषण विसर्जित किए।
देवता गूर ने मेले संबंधी जानकारी देते हुए धर्मदत्त ठाकुर ने कहा कि कोविड संक्रमण के नियमानुसार देवता का सरानाहुली मेला बीते वर्ष की तरह मनाया गया। उन्होंने कहा कि प्रशासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशानुसार हालांकि मेले के आयोजन पर प्रतिबंध है जिसमें स्थानीय लोगों और देवता के श्रद्धालुओं ने भी पूरा सहयोग किया है।
उन्होंने कहा कि हर साल जून माह में मनाए जाने वाले सरानाहुली मेले को लेकर देव कमरुनाग अपने चुनिंदा कारदारों के साथ रवाना हुए। पर्व के मौके पर देव कमरुनाग का प्रस्थान कुथली और काहुली के रूप में ही पीढ़ी दर पीढ़ी से होता रहा है। सरानाहुली मेले में देवता अपने सुरजपखा और बजंतर के बिना ही रवाना होते है।
अपनी मूल कोठी से निकलते ही काहुली की ध्वनि व घंटी बजाते हुए मूल स्थान पहुंचते हैं। देव कटवाल भीष्म ठाकुर ने बताया कि इस बार कोरोना महामारी के चलते मेले का आयोजन नहीं किया जा रहा है, लेकिन देव प्रथा की औपचारिकता पूरी करने के लिए गुर व देव कमेटी के कुछ लोग ही भाग लेंगे। जहां आज पूजा अर्चना करने के उपरांत हवन पाठ के बाद कोठी के लिए रवानगी की जाएगी।
बता दें कि मंडी रियासत के देवताओं में बड़ा स्थान रखने वाले देव कमरुनाग का दो दिवसीय सरानाहुली मेला 14 और 15 जून को बकरयाला संक्रांत के उपलक्ष्य पर मनाया जाता है, जहां इस दौरान जिला प्रदेश ही नहीं अपितु देश विदेश से लाखों की तादाद में श्रद्धालु पहुंचकर देवता का आशिर्वाद प्राप्त करते थे।
सरानाहुली उत्सव के उपलक्ष्य पर हजारों की संख्या में लोग अपने बच्चों के मुंडन की रस्में निभाते आ रहे थे। मन्नतें पूर्ण होने पर 9000 फीट की ऊंचाई पर देवता की झील 100, 500, 2000 के नोटों से लबालब रहती थी।
सोना चांदी के जेवरात तो अनगिनत चढ़ाए जाते थे, लेकिन पिछले साल से जिस प्रकार कोविड-19 जैसी महामारी ने पांव पसारे हैं, तब से लेकर सरानाहुली का उत्सव मात्र रस्मों तक सीमित रह गया है।
बड़ा देव कमरुनाग के सरानाहुली मेले के आयोजन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा है, लेकिन धार्मिक रस्मों के निर्वहन के लिए कमेटी के कुछ चुनिंदा कारदारों को कोविड-19 के नियमों के पालन के साथ निभाने के आदेश जारी किए गए हैं। इस दौरान पुलिस प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद रहे। आम आवाजाही को रोकyने के मंदिर के स्थान के हर सस्ते तक सील कर दिए गए थे, जिसमें श्रद्धालुओं का प्रशासन को पूर्ण सहयोग मिला है।
-अनिल भारद्वाज, एसडीएम, गोहर