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हजार करोड़ से ज्यादा के केस लंबित, टैक्स कलेक्शन भी बढ़ेगा
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मुख्यमंत्री की बजट घोषणा पर बन रही वन टाइम सेटलमेंट स्कीम
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२०१८ के अपने पहले बजट में जयराम ठाकुर ने की थी यह घोषणा
हिमाचल दस्तक ब्यूरो। शिमला : राज्य सरकार जीएसटी के पहले के टैक्स झगड़ों को निपटाने के लिए वन टाइम सेटलमेंट स्कीम ला रही है। आबकारी एवं कराधान विभाग इस पर काम कर रहा है। इसी महीने इसे कैबिनेट की बैठक में लाया जाएगा, ताकि नवंबर में धर्मशाला में होने वाली इन्वेस्टर मीट से पहले पुराने कर विवादों को निपटाया जा सके। इस बारे में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने वर्ष 2018 में अपने पहले बजट भाषण में घोषणा की थी।
अभी तक इस घोषणा को लागू नहीं किया जा सका है। माना जा रहा है कि हजार करोड़ से ज्यादा के ऐसे केस लंबित हैं, जो सेटलमेंट स्कीम से सुलझेंगे। इससे राज्य में जीएसटी का टैक्स कलेक्शन भी बढ़ेगा। आबकारी एवं कराधान विभाग वर्तमान में इस रिकवरी के लिए असेस्मेंट कर रहा है। इसके बाद ही सही धनराशि का पता चलेगा। 27 मई 2017 में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर जीएसटी बिल हिमाचल में पास किया गया था। इसी के साथ इसे राज्य में लागू कर दिया गया था, लेकिन पुराने टैक्स झगड़े नहीं निपटाए जा सके हैं।
तब राज्य में वैट लागू था और इसे स्लैब भी अलग अलग थे। जीएसटी लागू होने के बाद भी राज्य में अब केवल शराब और पेट्रो पदार्थों पर ही वैट है और इनसे ही सबसे ज्यादा राजस्व हिमाचल कमा रहा है। इसमें से भी अब पेट्रोल और डीजल के इस्तेमाल के लिए सी फार्म के प्रावधान को उपभोक्ताओं के लिए सरकार हटा रही है। राज्य की वैट के समय वार्षिक ग्रोथ 11 फीसदी थी, जबकि जीएसटी में ये कम से कम 14 प्रतिशत होनी चाहिए।
इस साल 4000 करोड़ चाहिए जीएसटी कलेक्शन
हिमाचल में इस साल जीएसटी कलेक्शन 4000 करोड़ करने का दबाव है। अब तक 1828 करोड़ कलेक्शन हुई है। जबकि पिछले साल वर्ष 2018-19में 3456 करोड़ का टैक्स आया था। जीएसटी कलेक्शन में करीब 40 फीसदी का शार्टफाल अब भी है, जिसे केंद्र सरकार 2022 तक पूरा भर रही है। लेकिन 2023 से आगे फिर केंद्र सरकार से भी बतौर भरपाई कुछ नहीं मिलेगा।
मुख्यमंत्री की बजट घोषणा के अनुसार टैक्स की सेटलमेंट स्कीम पर काम चल रहा है। हम ऐसी योजना बना रहे हैं, जिससे न तो टैक्स देने वाले को नुकसान हो और न ही सरकार के राजस्व की हानि हो। इसी महीने इसे कैबिनेट में लाएंगे।
डॉ. अजय शर्मा आयुक्त आबकारी एवं कराधान विभाग