रोहित सेम्टा। ठियोग :
मकर संक्रांति के अवसर पर ठियोग के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल माईपुल गिरि नदी में लोग आस्था की डुबकी लगाएंगे। कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए यहां पर श्रद्धालुओं के लिए मंदिर कमेटी की ओर से पुख्ता इंतजाम किए गए जा चुके हैं और सभी लोगों को बारी-बारी से गिरि नदी में स्नान करने का मौका दिया जाएगा। मंदिर के पुजारी हेतराम ने बताया कि सुबह करीब चार बजे से ही मंदिर के कपाट खोल दिए जाएंगे और घाट पर स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ नहीं लगने दी जाएगी। उन्होंने बताया कि देव आस्था से जुड़े इस पवित्र स्थल पर धार्मिक पर्व को लेकर लोगों की विशेष भीड़ रहती है, लेकिन कोरोना के कारण यहां पर भीड़ न होने के लिए इंतजाम किए गए हैं। वहीं कोरोना के चलते नियमों का पालन करने की भी पूरी सलाह लोगों को दी गई है।
मकर संक्रांति को लेकर ठियोग की विभिन्न देवठियों में पूजा-अर्चना भी की जाएगी। इस पर्व को लेकर कुछ लोग ठियोग से हरिद्वार भी जाते हैं, जबकि कुछ लोग घरों में स्नान आदि करके अपने ईष्ट की पूजा करते हैं। ऊपरी शिमला में मकर संक्रांति का अपना एक विशेष महत्व है। इस दिन लोग घरों की सफाई आदि करके सुबह पहले रसोईघर में अग्नि की पूजा करते हैं, जिसके लिए गुड़, जौ, तिल, चावल, धूप, घी आदि सामाग्री लेकर अग्नि की पूजा की जाती है। इसके अलावा घरों में विशेष तरह के लड्डू भी बनाए जाते हैं और इसे गांव के बच्चों में भी बांटा जाता है।
इसे तलोए कहते हैं जबकि इसके अलावा गाय के लिए भी मक्की के आटे, तिल जौ आदि को मिलाकर गाय को खिलाया जाता है। लोग इस दिन कपड़ा आदि भी दान करते हैं और गांव में छोटे बच्चे दूसरे लोगों के घरों में दान लेने जाते हैं। मकर संक्रांति के अवसर पर ठियोग की प्रसिद्ध देवठियों में कलाहर कामाक्षा माता मंदिर के अलावा गुठाण डोम देवता चिखड़ेश्वर शड़ी माता मंदिर के अलावा धरेच की देवी जेईश्वरी मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और काफी लोग एकत्रित होते हैं। कुछ लोग इस दिन अपने ग्रहों की शांति के लिए तुलादान भी करवाते हैं।
ऐसे की जाती है पूजा
मकर संक्रांति को लेकर लोग अपने घरों में सबसे पहले अग्नि की पूजा करते हैं। इसके बाद खिचड़ी बनाई जाती है। एक विशेष तरह के लड्डू ऊपरी शिमला में मकर संक्रांति पर बनते हैं, जिसे तलोए कहा जाता है। इसमें गुड़-तिल-घी मिला होता है।