हिमाचल दस्तक। पधर
उपमंडल पधर में वीरवार को महिलाओं ने वट सावित्री व्रत धूमधाम से मनाया। महिलाएं ये व्रत पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं। पधर के नारला वैष्णो मंदिर व शिव मंदिर पधर में विशाल वट वृक्ष की महिलाओं ने पूजा-अर्चना की।
वट सावित्रि व्रत में वट यानी बरगद के वृक्ष के साथ-साथ सत्यवान-सावित्री और यमराज की पूजा की जाती है। माना जाता है कि वटवृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देव वास करते हैं।
आपको बता दें कि यह व्रत हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या को रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण वापस लौटाने के लिए यमराज को भी विवश कर दिया था।
इस व्रत के दिन सत्यवान-सावित्री कथा को भी पढ़ा या सुना जाता है। महिलाएं वट वृक्ष के तने के चारों ओर कच्चा धागा लपेट कर 3 बार परिक्रमा करती हैं। वट सावित्री व्रत को उत्तर भारत के कई हिस्सों में मनाया जाता है।
क्यों की जाती है बरगद के वृक्ष की पूजा
वट सावित्री व्रत में बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में बरगद का वृक्ष पूजनीय माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस वृक्ष में सभी देवी-देवताओं का वास होता है।
इस वृक्ष की पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा शुभ मानी जाती है। वट का पारण 11 जून (शुक्रवार) को किया जाएगा।